Draig Therapeutics की DT-101 दवा: डिप्रेशन के इलाज में नई उम्मीद की शुरुआत | फेज़-2 ट्रायल शुरू
डिप्रेशन के मरीजों के लिए नई उम्मीद! अमेरिका की Draig Therapeutics ने अपनी एंटीडिप्रेसेंट दवा DT-101 का फेज़-2 क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया है। यह दवा दिमाग़ में सेरोटोनिन और डोपामाइन दोनों पर असर डालती है, जिससे मूड, ऊर्जा और प्रेरणा में सुधार होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि DT-101 अगली पीढ़ी की एंटीडिप्रेसेंट बन सकती है, जो लाखों मरीजों को तेज़ और सुरक्षित राहत दे सकती है।
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Ashish Pradhan
10/5/20251 min read


क्या डिप्रेशन के इलाज में नई उम्मीद है? Draig Therapeutics की दवा DT-101 का फेज़-2 ट्रायल शुरू
डिप्रेशन आखिर क्या होता है और यह इतना गंभीर क्यों है?
डिप्रेशन यानी अवसाद को अक्सर लोग केवल "उदासी" समझ लेते हैं। लेकिन यह सिर्फ़ उदासी नहीं है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है, जिसमें व्यक्ति लंबे समय तक निराशा, थकान, आत्मविश्वास की कमी और जीवन में रुचि खोने जैसी भावनाओं से गुजरता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में 30 करोड़ से ज़्यादा लोग अवसाद से प्रभावित हैं। भारत में भी हर 7 में से 1 व्यक्ति को कभी न कभी डिप्रेशन या मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
Draig Therapeutics कौन है और इसने क्या नया कदम उठाया है?
अमेरिका स्थित Draig Therapeutics एक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी है, जो खास तौर पर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी नई दवाओं पर शोध करती है। हाल ही में कंपनी ने घोषणा की है कि वह अपनी नई दवा DT-101 का फेज़-2 क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने जा रही है।
इसका मतलब है कि यह दवा शुरुआती सुरक्षा परीक्षण (फेज़-1) पार कर चुकी है और अब इसे ज़्यादा संख्या में मरीजों पर आज़माया जाएगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह वास्तव में डिप्रेशन के लक्षणों को कम करती है या नहीं।
DT-101 दवा क्या है और यह कैसे काम करती है?
कंपनी के मुताबिक, DT-101 दिमाग़ में मौजूद सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर पर असर डालती है।
मौजूदा दवाएँ जैसे SSRIs (Selective Serotonin Reuptake Inhibitors) केवल सेरोटोनिन पर काम करती हैं।
लेकिन DT-101 एक ड्यूल-एक्शन मेकैनिज़्म अपनाती है, यानी यह सेरोटोनिन और डोपामाइन दोनों पर असर डालती है।
यानी यह दवा केवल मूड को स्थिर नहीं करती, बल्कि ऊर्जा, प्रेरणा और सोचने की क्षमता को भी बेहतर बना सकती है। यही कारण है कि विशेषज्ञ इसे नेक्स्ट-जेनरेशन एंटीडिप्रेसेंट कह रहे हैं।
पुरानी एंटीडिप्रेसेंट दवाओं की क्या सीमाएँ हैं?
आज भी डिप्रेशन के इलाज में SSRIs और SNRIs सबसे ज़्यादा लिखी जाने वाली दवाएँ हैं। लेकिन इनमें कई कमियाँ हैं:
असर दिखाने में 4 से 6 हफ्ते लग जाते हैं।
बहुत से मरीजों में इनसे कोई खास सुधार नहीं होता।
दुष्प्रभाव जैसे वजन बढ़ना, यौन समस्याएँ, नींद की गड़बड़ी आम हैं।
कई बार दवा अचानक बंद करने पर "विदड्रॉल सिंड्रोम" हो जाता है।
यही वजह है कि वैज्ञानिक लगातार नई और तेज़ असर करने वाली दवाओं पर शोध कर रहे हैं
क्लिनिकल ट्रायल के फेज़-2 की ज़रूरत क्यों होती है?
किसी भी नई दवा को बाज़ार में लाने से पहले 3 बड़े चरणों में टेस्ट किया जाता है:
फेज़-1: दवा सुरक्षित है या नहीं, यह देखा जाता है (20–100 स्वस्थ लोगों पर)।
फेज़-2: दवा कितनी असरदार है और सही डोज़ क्या होनी चाहिए, यह जाँचा जाता है (200–400 मरीजों पर)।
फेज़-3: हज़ारों मरीजों पर बड़े पैमाने पर परीक्षण होता है और सुरक्षा-प्रभावकारिता की पुष्टि की जाती है।
DT-101 अभी फेज़-2 में जा रही है। अगर यह सफल रही तो अगले 2–3 साल में फेज़-3 शुरू होगा और फिर दवा को मंज़ूरी मिल सकती है।
भारत जैसे देशों के लिए यह खोज क्यों अहम है?
भारत में मानसिक स्वास्थ्य पर अभी भी बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में से 70% इलाज तक पहुँच ही नहीं पाते।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भारी कमी है (हर 1 लाख लोगों पर सिर्फ़ 0.75 मनोचिकित्सक)।
ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी खराब है।
अगर DT-101 जैसी नई और असरदार दवा आती है, तो यह लाखों मरीजों को तेज़ और सुरक्षित राहत दे सकती है।
क्या यह दवा आत्महत्या के खतरे को भी कम कर सकती है?
डिप्रेशन की सबसे बड़ी चुनौती है – आत्महत्या का जोखिम। WHO के अनुसार, हर साल दुनिया भर में लगभग 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं और इनमें से ज़्यादातर डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं।
कंपनी का दावा है कि DT-101 शुरुआती हफ्तों में ही ऊर्जा और मोटिवेशन को बेहतर बनाती है, जिससे आत्महत्या का जोखिम घट सकता है। हालांकि, इसे अभी वैज्ञानिक रूप से साबित करना बाकी है और यही फेज़-2 ट्रायल का बड़ा मक़सद है।
क्या मरीजों को तुरंत यह दवा मिल जाएगी?
नहीं। अभी यह सिर्फ़ रिसर्च स्टेज पर है।
मरीजों को क्लिनिकल ट्रायल में शामिल होने का मौका मिल सकता है।
आम जनता के लिए यह दवा उपलब्ध होने में 3–5 साल लग सकते हैं।
तब तक डॉक्टर पुरानी और अनुमोदित दवाओं का ही इस्तेमाल करेंगे।
डिप्रेशन के मरीजों के लिए और क्या विकल्प हैं?
दवाओं के अलावा डिप्रेशन के इलाज में कई विकल्प हैं:
साइकोथेरेपी (कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी, CBT)
लाइफ़स्टाइल बदलाव: योग, ध्यान, नींद और व्यायाम
सपोर्ट सिस्टम: परिवार और दोस्तों से बातचीत
अन्य आधुनिक विकल्प: TMS (Transcranial Magnetic Stimulation), केटामाइन थेरेपी
क्या भारत में DT-101 का ट्रायल होगा?
अभी तक Draig Therapeutics ने अपने ट्रायल मुख्य रूप से अमेरिका और यूरोप में प्लान किए हैं। लेकिन भविष्य में भारत जैसे देशों को भी शामिल किया जा सकता है, क्योंकि यहाँ डिप्रेशन के मरीजों की संख्या बहुत अधिक है।
विशेषज्ञों की राय क्या है?
डॉ. राजेश कुमार (मनोचिकित्सक, दिल्ली): "अगर DT-101 सच में उतना असरदार निकला जितना कंपनी दावा कर रही है, तो यह मानसिक स्वास्थ्य की दुनिया में गेम-चेंजर साबित हो सकता है।"
डॉ. लिसा हावर्ड (क्लिनिकल साइकियाट्रिस्ट, न्यूयॉर्क): "हमें उम्मीद है कि यह दवा तेज़ असर दिखाएगी, लेकिन हमें सावधान रहना होगा क्योंकि नई दवाओं के लंबे समय के असर हमेशा स्पष्ट नहीं होते।"
आम लोगों के मन में कौन-कौन से सवाल हो सकते हैं? (FAQ)
प्र. 1: क्या यह दवा अभी खरीद सकते हैं?
नहीं, यह अभी शोध चरण में है।
प्र. 2: क्या यह पुरानी दवाओं से ज़्यादा सुरक्षित है?
शुरुआती नतीजों से लगता है कि हाँ, लेकिन अंतिम पुष्टि फेज़-2 और फेज़-3 के बाद ही होगी।
प्र. 3: क्या भारत में मरीज इसे ट्रायल में ले सकते हैं?
फिलहाल नहीं, लेकिन भविष्य में संभव है।
प्र. 4: क्या यह बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए भी होगी?
ट्रायल अभी सिर्फ़ वयस्कों पर हो रहे हैं। बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए बाद में अलग स्टडीज़ होंगी।
निष्कर्ष: क्या DT-101 उम्मीद की नई किरण है?
डिप्रेशन एक छुपी हुई महामारी है, जिसका बोझ भारत समेत पूरी दुनिया झेल रही है। Draig Therapeutics की नई दवा DT-101 एक उम्मीद की किरण ज़रूर है, लेकिन अभी लंबा सफ़र बाकी है।
अगर यह ट्रायल्स में सफल हुई तो आने वाले सालों में डिप्रेशन का इलाज तेज़, असरदार और सुरक्षित हो सकता है।
लेकिन तब तक ज़रूरी है कि लोग मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हों, समय पर डॉक्टर से सलाह लें और समाज में स्टिग्मा (कलंक) को कम किया जाए।
संदर्भ (Sources & References):
Draig Therapeutics Press Release (2025)
World Health Organization (WHO) – Depression Factsheet
National Institute of Mental Health (NIMH), USA
Expert Interviews (Psychiatric Journals, 2025)
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।
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