MBBS के बिना Allopathy? मद्रास हाई कोर्ट ने साफ किया नियम — BMS और CMP धारकों की याचिका खारिज

मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि आधुनिक allopathy इलाज का अधिकार केवल MBBS डॉक्टरों को है। कोर्ट ने BMS, CMP और समान डिप्लोमा धारकों की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने modern medicine प्रैक्टिस करने का दावा किया था। यह निर्णय तमिलनाडु में चिकित्सा योग्यताओं, रोगी सुरक्षा और नियामक मानकों को लेकर बहस के केंद्र में आ गया है।

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ASHISH PRADHAN

11/21/20251 min read

the madras high court’s decision on who can practice modern allopathy.
the madras high court’s decision on who can practice modern allopathy.
Only MBBS डॉक्टर ही आधुनिक (मॉर्डन) मेडिसिन प्रैक्टिस कर सकते हैं! मद्रास HC ने ‘Modern Allopathy’ प्रैक्टिशनर्स की याचिका खारिज की
परिचय

मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिसमें उसने ‘Modern Allopathy’ कहे जाने वाले उन चिकित्सकों की याचिका को खारिज कर दिया है, जो MBBS की जगह BMS, CMP या अन्य संबंधित डिप्लोमा करके आधुनिक चिकित्सा (allopathy) प्रैक्टिस करना चाहते थे।

यह निर्णय उस समय आया जब यह संघ लगभग 100 सदस्यों के साथ तमिलनाडु में पंजीकृत था और उसने सरकार से कानूनी संरक्षण मांगते हुए कहा था कि उनकी योग्यताएं उन्हें सभीपैथी (allopathy) चिकित्सा करने की अनुमति देती हैं। हालांकि, न्यायाधीश M. Dhandapani ने “modern allopathy” की परिभाषा पर सवाल उठाते हुए स्पष्ट किया कि केवल MBBS स्नातक डॉक्टरों को ही आधुनिक विज्ञान आधारित चिकित्सा का अभ्यास करने का वैध अधिकार है।

यह फैसला तमिलनाडु में चिकित्सा अभ्यास की सीमाओं, योग्यताओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मोड़ है — और इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।

पृष्ठभूमि

यह मामला उस संघ की ओर से था जिसमें BMS (Bachelor of Medical Science), CMP (Certificate / Diploma in Medicinal Subjects) या अन्य समकक्ष डिप्लोमा-धारक चिकित्सक शामिल थे, जिन्होंने दावा किया था कि उनकी योग्यताएं उन्हें आधुनिक allopathy पद्धति के तहत क्लीनिक खोलने और मरीजों का उपचार करने का अधिकार देती हैं।

हालाँकि, मद्रास HC ने यह तर्क देते हुए उनकी याचिका खारिज की कि उनके पास MBBS जैसा मान्यता प्राप्त डिग्री स्तर नहीं है, जो आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा के लिए कानूनी और व्यावसायिक मानदंडों में अनिवार्य रूप से आवश्यक है। कोर्ट ने यह भी कहा कि निचली अदालत का आदेश, जिसने उन्हें चिकित्सा प्रैक्टिस का अधिकार दिया था, Medical Council को शामिल किए बिना और एक्स-पार्टी सुनवाई के आधार पर पारित किया गया था, इसलिए उसका कानूनी आधार कमजोर है।

आधुनिक चिकित्सा में MBBS क्यों महत्वपूर्ण है?

“मॉर्डन मेडिसिन” या “allopathy” में इलाज का आधार वैज्ञानिक सिद्धांतों, क्लिनिकल अध्ययन, प्रयोगशाला परीक्षण और प्रमाण आधारित चिकित्सा पद्धतियों पर है। MBBS (Bachelor of Medicine, Bachelor of Surgery) कोर्स इन सभी क्षेत्रों में विस्तार से प्रशिक्षण देता है — जिसमें पैथोलॉजी, फिज़ियोलॉजी, फार्माकोलॉजी, स्ट्रक्चरल एनाटॉमी, और रोगों के ज़्यादा जटिल मामलों (जैसे कि सर्जरी, आपातकालीन चिकित्सा, इंटेंसिव केयर) का व्यावहारिक अनुभव शामिल होता है।

इसके विपरीत, BMS या CMP जैसी डिप्लोमा/सर्टिफिकेट-आधारित योग्यताएं आमतौर पर सीमित अवधि की होती हैं और उनमें चिकित्सा विज्ञान के गहन अनुभव की कमी होती है जो MBBS शिक्षा के दौरान मिलता है।

कोर्ट ने इस अंतर को महत्व देते हुए यह फैसला किया है कि आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा की संवेदनशीलता और जटिलता को देखते हुए सभीपैथी अभ्यास के लिए MBBS जैसी व्यापक और गहन चिकित्सा शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए।

पहले के न्यायिक मामलों और असंबंधित आयुष/सिद्ध मामलों से तुलना

यह फैसला एक ऐसे परिप्रेक्ष्य में आया है जहां मद्रास HC पहले भी AYUSH (जैसे कि आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, होम्योपैथी) चिकित्सकों को सीमित आधुनिक चिकित्सा अभ्यास की अनुमति दे चुकी है। उदाहरण के लिए, यदि AYUSH-प्रशिक्षित डॉक्टरों ने संबंधित विषयों में पर्याप्त प्रशिक्षण प्राप्त किया हो, तो उन्हें मॉडर्न विज्ञान-आधारित चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन “विशुद्ध exclusively allopathy” अभ्यास की सीमाएँ हैं।

इसके अलावा, मद्रास HC ने यह भी कहा है कि Siddha चिकित्सक, जिन्हें Tamil Nadu Siddha Medical Council के तहत पंजीकृत किया गया है, modern allopathy पद्धति अपना सकते हैं, परंतु उनकी क्लीनिक में allopathic दवाइयों का भंडारण करना बिना उचित लाइसेंस के दवाइयों और कॉसमेटिक्स एक्ट (Drugs and Cosmetics Act, 1940) के अंतर्गत अवैध है।

इन फैसलों से स्पष्ट होता है कि कोर्ट स्वास्थ्य और सुरक्षा की दृष्टि से डॉक्टरों की योग्यताओं और दवाइयों के नियंत्रण पर खास ध्यान देती है।

न्यायालय का तर्क और उसकी गंभीरता

न्यायाधीश ने यह संकेत दिया है कि “modern allopathy” शब्द की परिभाषा अस्पष्ट हो सकती है, और यदि इसे बहुत विस्तृत रूप से लिया जाए, तो यह चिकित्सा पेशे की वैज्ञानिक विश्वसनीयता और रोगी सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

कोर्ट ने यह भी यह बताया कि निचली अदालत ने Medical Council को पक्षकार बनाए बिना ही आदेश पारित किया था — एक बहुत बड़ा कानूनी चूक। इसके कारण उस आदेश के वैधता पर सवाल खड़े हो गए और HC ने संघ की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनकी दावेदारी वैध चिकित्सा अभ्यास की नींव पर खड़ी नहीं है।

यह निर्णय स्वास्थ्य प्रणाली और मरीजों पर क्या असर डालेगा?
  • मरीजों की सुरक्षा: कोर्ट का यह कदम उन मरीजों के लिए सुरक्षा का एक मजबूत संकेत है जो आधुनिक allopathy चिकित्सा पाने की उम्मीद करते हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि दवाइयां और इलाज वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप और योग्य डॉक्टरों द्वारा ही दिए जाएँ।

  • चिकित्सकीय मानकों की मजबूती: यह फैसला चिकित्सा पेशे की गुणवत्ता को बनाए रखने का संकेत देता है। यदि अधिक लोग बिना पर्याप्त प्रशिक्षण के “allopathy” व्यवहार करते, तो चिकित्सा त्रुटि, दवा दुरुपयोग या गलत निदान का खतरा बढ़ सकता था।

  • नियामक दिशा: यह निर्णय राज्य और केंद्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरणों को यह स्पष्ट दिशा देता है कि allopathy अभ्यास में योग्यताओं की समीक्षा और पंजीकरण प्रक्रिया को और अधिक सख्त किया जाना चाहिए।

विशेषज्ञों की राय

डॉक्टर संघों और चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह कदम “मिश्र-चिकित्सा” (mixopathy) की प्रवृत्ति को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है — जहाँ अलग-अलग चिकित्सा प्रणालियों के डॉक्टर बिना पर्याप्त प्रशिक्षण के आधुनिक चिकित्सा दवाइयां प्रिस्क्राइब करना चाहते हैं।

कुछ चिकित्सा नीति विशेषज्ञों ने यह सुझाव भी दिया है कि इस मुद्दे पर अधिक व्यापक और दीर्घकालीन सार्वजनिक स्वास्थ्य चर्चा होनी चाहिए — जैसे कि मेडिकल सीटों की कमी, ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी, और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच जैसी चुनौतियाँ, ताकि सिर्फ योग्यता प्रतिबंध ही समाधान न बनें, बल्कि पूरे सिस्टम में सुधार हो सके।

निष्कर्ष और आगे का मार्ग

मद्रास हाई कोर्ट का यह फैसला न केवल चिकित्सा पेशे में योग्यताओं की सीमाओं को स्पष्ट करता है, बल्कि यह स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक मजबूत संदेश भी भेजता है कि रोगी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। केवल MBBS डॉक्टरों को आधुनिक allopathy चिकित्सा करने की अनुमति देना एक स्पष्ट और मजबूत मानक बनाता है, जो चिकित्सा पेशे की वैज्ञानिक तीव्रता और नैतिकता को सुरक्षित रखता है।

आगे आने वाले समय में यह देखने की जरूरत होगी कि क्या यह फैसला अन्य राज्यों में भी चिकित्सा नियमों और पंजीकरण प्रक्रियाओं को प्रभावित करेगा, और क्या सरकारें और चिकित्सा शिक्षण संस्थान इस दिशा में सुधारों को अपनाएंगी। इसके अतिरिक्त, मरीजों को इस बात की जानकारी देना भी महत्वपूर्ण होगा कि उनके डॉक्टर की योग्यता क्या है — ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें।

अंत में, विशेषज्ञ सलाहकारों का मानना है कि सामान्य जनता और मेडिकल पेशे दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चिकित्सा शिक्षा और प्रैक्टिस की गुणवत्ता कायम रहे, क्योंकि यह न सिर्फ डॉक्टरों की प्रतिष्ठा का मामला है, बल्कि मरीज़ों की जान और कल्याण का मुद्दा भी है।

स्रोत और संदर्भ
  • “Modern allopathy’ practitioners’ plea fails to impress Madras HC.” Times of India, प्रकाशित आज।

  • Crl.O.P.No.20143/2024 — मद्रास HC का आदेश।

  • “Siddha Practitioners Can't Store Allopathic Medicines Without License: Madras High Court.” LawBeat, प्रकाशित 18 अक्टूबर 2024।

  • “If trained, AYUSH doctors can practise Allopathy too: Madras HC.” The New Indian Express, 29 जुलाई 2022।

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। और न ही निवेश की सलाह है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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