लाल किला विस्फोट मामला: एनएमसी ने UAPA के आरोपों के बाद चार डॉक्टरों का मेडिकल लाइसेंस रद्द किया
लाल किला विस्फोट की जाँच में एक बड़ा मोड़ आया है क्योंकि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने यूएपीए से जुड़े आरोपों का सामना कर रहे चार डॉक्टरों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। जानिए इस कार्रवाई की वजह क्या थी, पंजीकरण रद्द करने की प्रक्रिया कैसे शुरू हुई और भारत में चिकित्सा जवाबदेही के लिए इसका क्या मतलब है।
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ASHISH PRADHAN
11/15/20251 min read


भूमिका
देश की राजधानी में 10 नवंबर 2025 को हुए Red Fort complex के समीप हुए कार धमाके (जिसमें मृतकों की संख्या बढ़कर तेरह तक पहुँच गई है) की जांच के दायरे में National Medical Commission (एनएमसी) ने चार चिकित्सकों के चिकित्सकीय लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिए हैं। ये डॉक्टर Jammu & Kashmir Medical Council तथा Uttar Pradesh Medical Council द्वारा अपनी-अपनी राज्य चिकित्सक पंजीकरण से हटाए जाने के बाद राष्ट्रीय पंजीकरण (Indian Medical Register / National Medical Register) से भी प्रभावशाली रूप से निष्कासित किए गए हैं।
एनएमसी ने कहा है कि उक्त चिकित्सकों द्वारा दाखिल आरोप – जिसमें Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) की विभिन्न धाराएँ भी शामिल हैं जो चिकित्सकीय व्यावसायिक आचार-संहिता के मानकों के साथ संगत नहीं पाए गए। इस प्रकार, इन चारों डॉक्टरों को देश में किसी भी रूप में चिकित्सा अभ्यास या किसी चिकित्सा पद पर नियुक्ति करने की अनुमति नहीं दी गई है।
पृष्ठभूमि
नवम्बर 2025 में दिल्ली के लालकिले के समीप हुए इस धमाके ने न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं बल्कि चिकित्सा पेशे की विश्वसनीयता और चिकित्सकीय पंजीकरण प्राधिकरणों की जवाबदेही पर भी नया विमर्श खड़ा कर दिया है। जांच एजेंसियों ने बताया है कि यह घटना एक व्यापक “सफेद-पोशाक” आतंकी नेटवर्क का भाग हो सकती है, जिसमें उच्चशिक्षित प्रोफेशनल्स, बहुत मात्रा में विस्फोटक सामग्री और व्यापक समन्वय शामिल था।
चिकित्सा पेशे को चलाने वाले चिकित्सकों को प्रदेश तथा राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकरण आवश्यक होता है, जिसके तहत उनका नाम राज्य मेडिकल परिषद या राष्ट्रीय मेडिकल रजिस्टर में दर्ज होता है। राज्य-काउन्सिल द्वारा पंजीकरण रद्द होना स्वाभाविक रूप से चिंतास्पद संकेत है, लेकिन राष्ट्रीय पंजीकरण से निष्कासन एक दुर्लभ तथा गंभीर कदम है।
इस घटना ने यह संकेत दिया है कि “चिकित्सक” का दर्जा सिर्फ शैक्षणिक योग्यता या चिकित्सा अभ्यास तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें सामाजिक, नैतिक एवं कानूनी जिम्मेदारी भी निहित है। एनएमसी ने स्पष्ट किया है कि चिकित्सकीय अभ्यास में लगे व्यक्ति को पेशेवर आचरण, विश्वास-निर्माण एवं सार्वजनिक हित के मानदंडों को पूरा करना अनिवार्य है।
क्या आरोप लगे हैं?
– एनएमसी ने अपने 14 नवम्बर 2025 के आदेश में स्पष्ट किया कि डॉ. मुज़फ़्फ़र अहमद, डॉ. आदेल अहमद रदर, डॉ. मुज़मिल शकील एवं डॉ. शाहीन सईद (या साद्द) के नाम IMR/NMR से तुरंत हटाए गए हैं।
– इन पर UAPA की धारा 13, 16, 17, 18-B, 19, 20, 23, 39, 40 तथा अन्य धारा जैसे Explosive Substances Act, Arms Act आदि के तहत मामला दर्ज किया गया है।
– जम्मू-काश्मीर पुलिस ने FIR No. 162/2025 (PS Nowgam, श्रीनगर) दिनांक 19.10.2025 के अंतर्गत उपरोक्त चिकित्सकों की संभावित भूमिका को ‘प्रारंभिक सबूतों’ के आधार पर पाया है।
कैसे हुई यह पंजीकरण रद्दीकरण की प्रक्रिया?
जम्मू एवं कश्मीर मेडिकल काउन्सिल ने पहले ही तीन चिकित्सकों के पंजीकरण रद्द कर दिए थे तथा उत्तर-प्रदेश मेडिकल काउन्सिल ने एक चिकित्सक (डॉ. शाहीन) को निशाना बनाया था।
इसके पश्चात एनएमसी ने राष्ट्रीय स्तर पर आदेश जारी किया कि राज्य चिकित्सकीय परिषदें अपने रजिस्टर को तुरंत अद्यतन करें और उक्त चिकित्सकों को कहीं भी चिकित्सा अभ्यास करने के योग्य न मानें।
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इस कदम का क्या उद्देश्य है?
एनएमसी के मतानुसार, ऐसा कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि चिकित्सकों द्वारा आरोपित गतिविधियाँ “चिकित्सकीय आचार-संहिता, शिष्टाचार व सार्वजनिक विश्वास की अपेक्षाओं” के अनुरूप नहीं पाईं गईं। यह कार्रवाई मूल रूप से यह संदेश देने के लिए है कि चिकित्सा पेशे में लगे लोग केवल अपना कार्य नहीं करते, बल्कि उनकी सामाजिक-नैतिक भूमिका भी होती है, और किसी भी तरह की ‘विश्वासघात’ स्वीकार्य नहीं है।
चिकित्सकीय पंजीकरण प्रणाली और पेशेवर जवाबदेही
चिकित्सा पेशे में पंजीकरण प्रणाली एक महत्वपूर्ण तंत्र है: राज्य स्तर पर मेडिकल काउन्सिल पंजीकरण करती है, और राष्ट्रीय स्तर पर IMR/NMR का निर्माण होता है। जब चिकित्सक किसी अन्य राज्य में काम करना चाहते हैं, तो NOC की आवश्यकता होती है और पंजीकरण हस्तांतरण होना चाहिए।
इस प्रणाली का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चिकित्सक कानूनी, नैतिक और वैज्ञानिक मानदंडों के अनुरूप हों। इस घटना ने यह दृष्टिगत कराया कि यदि किसी चिकित्सक का व्यवहार, सामाजिक व्यवहार या आरोपी गतिविधि चिकित्सकीय पद के गौरव या भरोसे को कमजोर करती है, तो पंजीकरण रद्दीकरण की प्रक्रिया सक्रिय हो सकती है।
इस कार्रवाई का समाज पर प्रभाव
इस प्रकार की कार्रवाई के परिणामस्वरूप निम्नलिखित प्रभाव देखने को मिल सकते हैं:
चिकित्सा पेशे में लगे चिकित्सकों के लिए एक सशक्त नैतिक तथा कानूनी चेतावनी स्थापित हुई है कि यदि वे पेशेवर मानदंडों का उल्लंघन करते हैं, तो न सिर्फ उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है बल्कि चिकित्सा अभ्यास से निष्कासित भी किया जा सकता है।
आम जनता के दृष्टिकोण से चिकित्सा पेशे की विश्वसनीयता एक संवेदनशील विषय है। जब किसी चिकित्सक पर गंभीर आरोप लगते हैं, तो उसके पेशे की गरिमा तथा चिकित्सा-विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस प्रकार यह निर्णय मरीज-समुदाय में थोड़े बहुत भरोसे के पुनर्स्थापन की दिशा में भी कदम माना जा सकता है।
राज्य-काउन्सिलों तथा राष्ट्रीय आयोगों को अपनी पंजीकरण-अनुसंधान प्रक्रिया को और अधिक सक्रिय, पारदर्शी तथा समयबद्ध रूप से लागू करने का दबाव बढ़ गया है। चिकित्सा शिक्षा-संस्थान और चिकित्सकीय नियोक्ता संस्थानों को भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके यहां कार्यरत चिकित्सक निरंतर पंजीकरण नियमों के अनुरूप हों।
निष्कर्ष
अगले चरण के तौर पर यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस कार्रवाई का चिकित्सकीय शिक्षा-प्रशिक्षण संस्थानों, राज्य व राष्ट्रीय मेडिकल काउन्सिलों तथा चिकित्सा पेशे में आचार-नैतिक नियमों के अनुपालन पर क्या दीर्घकालीन प्रभाव पड़ता है। मरीजों की सुरक्षा, चिकित्सा पेशे की पारदर्शिता तथा चिकित्सा-विश्वास की रक्षा के लिहाज़ से ये कदम स्वागतयोग्य हैं, लेकिन जवाबदेही-प्रक्रियाओं को और अधिक मजबूत एवं नियमित बनाना जरूरी है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले सभी चिकित्सकों और चिकित्सा-संस्थाओं को समय-समय पर अपने पंजीकरण की स्थिति, आचार-संहिता-पालन और सामाजिक-जवाबदेही की समीक्षा करनी चाहिए, तथा राज्य-काउन्सिलों तथा राष्ट्रीय आयोग को उनके मानदंडों का पारदर्शी पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
इस घटना ने स्पष्ट रूप से यह संकेत दिया है कि चिकित्सकीय पंजीकरण केवल एक फॉर्मल प्रक्रिया नहीं बल्कि उस विश्वास का स्तंभ है जिसपर मरीज-समुदाय एवं समाज भरोसा करते हैं। यदि यह स्तंभ ढह जाए, तो चिकित्सा-विश्वास को पुनर्स्थापित करना अतिशय कठिन हो जाएगा।
स्रोत एवं संदर्भ:
“NMC cancels licences of doctors accused in Red Fort Blast case”, Medical Dialogues, 15 Nov 2025.
“4 Terror Accused Doctors Lose Registrations, Can’t Practice in India”, NDTV, 14 Nov 2025.
“Red Fort blast: NMC cancels licences of four doctors linked to Faridabad ‘white terror’ module”, Moneycontrol, 15 Nov 2025.
“NMC disallows four doctors linked to Red Fort blast from practising medicine”, The Indian Express, 15 Nov 2025.
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। और न ही निवेश की सलाह है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।
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