WHO की बड़ी चेतावनी: दवाओं पर असर न करने वाला गोनोरिया तेजी से फैल रहा—दुनिया के सामने नया स्वास्थ्य संकट?

WHO ने चेतावनी दी है कि ड्रग-रेज़िस्टेंट गोनोरिया दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। कई देशों में एंटीबायोटिक असरहीन हो रहे हैं, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य संकट और गहरा सकता है।

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ASHISH PRADHAN

11/20/20251 min read

WHO की रिपोर्ट में बढ़ते ड्रग-रेज़िस्टेंट गोनोरिया मामलों का वैश्विक विश्लेषण
WHO की रिपोर्ट में बढ़ते ड्रग-रेज़िस्टेंट गोनोरिया मामलों का वैश्विक विश्लेषण
Introduction | क्या है WHO की नई चेतावनी और दुनिया क्यों चिंतित है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चेतावनी जारी की है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि दुनिया के कई देशों में ड्रग-रेज़िस्टेंट गोनोरिया के मामले पिछले कुछ वर्षों की तुलना में कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं, और यह स्थिति न केवल डॉक्टर्स बल्कि स्वास्थ्य नीति-निर्माताओं के लिए भी बड़ी चुनौती बन रही है।

यह चेतावनी नवंबर 2025 में प्रकाशित वैश्विक निगरानी रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें यह पाया गया कि यूरोप, अमेरिका, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका तक कई क्षेत्रों में ऐसे बैक्टीरिया के स्ट्रेन सामने आ रहे हैं, जिन पर पारंपरिक एंटीबायोटिक दवाएं प्रभाव नहीं डाल पा रही हैं। यह समस्या इसलिए और गंभीर है क्योंकि गोनोरिया पहले से ही दुनिया में सबसे तेजी से फैलने वाला यौन-संचारित संक्रमण (STI) माना जाता है, और यदि उसके इलाज में प्रयुक्त दवाएं असर खो दें, तो यह संक्रमण आम लोगों से लेकर संवेदनशील समूहों तक, सभी के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।

क्या है गोनोरिया और कैसे फैलता है यह संक्रमण?

गोनोरिया एक यौन-संचारित संक्रमण है, जिसका कारण नीसेरिया गोनोरिया (Neisseria gonorrhoeae) नामक बैक्टीरिया होता है। यह संक्रमण मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंधों, संक्रमित साथी के संपर्क, गर्भावस्था में माँ से बच्चे तक या कभी-कभी नज़दीकी शारीरिक संपर्क के माध्यम से फैलता है।

WHO के अनुसार, हर साल दुनिया में लगभग 8 करोड़ नए केस दर्ज होते हैं, और इनमें से हजारों मामले ऐसे होते हैं जिनमें लक्षण शुरू में हल्के होते हैं, लेकिन अनुपचारित रहने पर यह बीमारी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है, गर्भाशय में संक्रमण फैला सकती है और पुरुषों में गंभीर जटिलताएँ पैदा कर सकती है।

ड्रग-रेज़िस्टेंट गोनोरिया क्या है और यह क्यों खतरनाक है?

पिछले एक दशक से दुनिया भर के वैज्ञानिक लगातार चेतावनी देते रहे हैं कि एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक प्रयोग, अधूरा इलाज, और गलत दवाओं का उपयोग गोनोरिया बैक्टीरिया को और अधिक मजबूत, यानी ‘ड्रग-रेज़िस्टेंट’ बनाता जा रहा है। इसका अर्थ है कि यह बैक्टीरिया अब बड़ी संख्या में उन दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी हो रहा है जो पहले आसानी से इसे खत्म कर देती थीं।

WHO रिपोर्ट में पाया गया कि:

  • पारंपरिक एंटीबायोटिक्स जैसे सेफ्ट्रियाक्सोन, अज़िथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन पर कई देशों में बढ़ता प्रतिरोध दर्ज किया गया है।

  • 20 से अधिक देशों में मल्टी-ड्रग रेज़िस्टेंस वाले नए स्ट्रेन सामने आए हैं।

  • कुछ देशों में ऐसे स्ट्रेन भी मिले हैं जिन पर अब तक उपलब्ध लगभग सभी दवाओं का प्रभाव कम हो चुका है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह स्थिति इसी तरह बढ़ती रही, तो निकट भविष्य में दुनिया को एक ऐसे युग का सामना करना पड़ सकता है जहाँ गोनोरिया का सामान्य, सस्ता और आसान इलाज संभव नहीं रहेगा।

किन कारणों से बढ़ रहा है यह संक्रमण?

1. असुरक्षित यौन संबंधों में वृद्धि

कई देशों में युवाओं के बीच असुरक्षित यौन संबंध बढ़ने के कारण संक्रमण तेजी से फैल रहा है।

2. दवाओं का गलत या अधूरा उपयोग

बहुत से मरीज लक्षण कम होते ही दवाएं लेना बंद कर देते हैं, जिससे बैक्टीरिया में प्रतिरोध विकसित होता है।

3. गलत एंटीबायोटिक प्रिस्क्रिप्शन

कम प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा गलत दवा देने से भी समस्या बढ़ रही है।

4. टेस्टिंग सुविधाओं की कमी

ग्रामीण क्षेत्रों में STI टेस्टिंग उतनी मजबूत नहीं है, जिससे संक्रमण बिना निदान के बढ़ता रहता है।

Treatment Challenges | गोनोरिया के इलाज में मुश्किलें क्यों बढ़ गई हैं?

WHO की रिपोर्ट में यह चिंता स्पष्ट रूप से व्यक्त की गई कि पहले जहाँ सेफ्ट्रियाक्सोन का एक इंजेक्शन ही काफी होता था, वहाँ अब लंबे और महंगे इलाज की जरूरत पड़ रही है, जिससे कम आय वाले देशों के मरीजों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ता जा रहा है।

कई देशों में प्रभावी दवाओं की उपलब्धता भी कम होती जा रही है, और यदि नई दवाएं या वैक्सीन जल्द विकसित नहीं होतीं, तो उपचार की लागत तेजी से बढ़ सकती है।

नए ड्रग्स और विकास में चल रहे समाधान
1. नई दवाओं पर शोध: क्या उम्मीद की जा सकती है?

कई अंतरराष्ट्रीय फार्मा कंपनियां ऐसी नई दवाओं पर काम कर रही हैं जिनका लक्ष्य बैक्टीरिया की कोशिका दीवार को तोड़कर उसे निष्क्रिय करना है। कुछ दवाएं प्रोटीन सिंथेसिस को रोकती हैं, जिससे बैक्टीरिया बढ़ नहीं पाता।

2. क्लिनिकल ट्रायल्स का हाल
  • कुछ नई दवाएं फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल में पहुँच चुकी हैं।

  • स्वास्थ्य एजेंसियाँ उम्मीद कर रही हैं कि अगले 2–3 वर्षों में नई पीढ़ी की दवाएं उपलब्ध हो सकती हैं।

  • WHO ऐसी दवाओं के परीक्षण में तेजी लाने के लिए वैश्विक साझेदारी बना रहा है।

3. वैक्सीन विकास

वर्तमान में गोनोरिया के लिए कोई स्वीकृत वैक्सीन नहीं है, लेकिन न्यूज़ीलैंड की एक पुरानी वैक्सीन से जुड़े डेटा में पाया गया कि यह गोनोरिया के खिलाफ लगभग 30–40% सुरक्षा दे सकती है। इसी आधार पर शोधकर्ता नई वैक्सीन तैयार कर रहे हैं।

Experts की राय: क्या कह रहे हैं डॉक्टर और वैज्ञानिक?

WHO की Antimicrobial Resistance टीम के वैज्ञानिक डॉ. मारिया वॉन केरहोवे कहती हैं—
"गोनोरिया एक तेजी से फैलने वाला संक्रमण है और यदि इसके उपचार में प्रभावी दवाएं समाप्त हो गईं, तो यह दुनिया के लिए एक बेहद मुश्किल स्वास्थ्य संकट बन जाएगा। हमें जल्द से जल्द नई दवाओं, बेहतर टेस्टिंग क्षमता और पब्लिक हेल्थ जागरूकता की जरूरत है।"

भारत के AIIMS, नई दिल्ली के वरिष्ठ त्वचा एवं यौन रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील मेहता के अनुसार—
"ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में लोग अक्सर शर्म या जानकारी की कमी के कारण इलाज में देरी करते हैं। जब तक मरीज हमारे पास पहुँचते हैं, संक्रमण जटिल रूप ले चुका होता है। ऐसे मामलों में ड्रग-रेज़िस्टेंस अधिक देखने को मिलता है।"

क्या भारत भी इस बढ़ते खतरे की चपेट में आ रहा है?

हाँ। भारत में भी पिछले पाँच वर्षों में STI मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। विशेष रूप से महानगरों में ऐसे गोनोरिया स्ट्रेन पाए गए हैं जिन पर कई एंटीबायोटिक दवाओं का असर कम हो चुका है।

हालांकि भारत सरकार और ICMR ने ड्रग-रेज़िस्टेंस की निगरानी के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि देश में यह खतरा अभी भी बढ़ रहा है और इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता और टेस्टिंग को मजबूत करने की जरूरत है।

आम लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा क्या है?

डॉक्टरों का कहना है कि यदि ड्रग-रेज़िस्टेंट गोनोरिया का समय पर इलाज न मिले, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं:

  • महिलाओं में बांझपन (Infertility)

  • गर्भावस्था में गंभीर जटिलताएँ

  • नवजात शिशुओं में आँखों का संक्रमण

  • पुरुषों में एपिडिडिमाइटिस जैसी समस्याएँ

  • शरीर में संक्रमण फैलने पर सेप्सिस जैसी जानलेवा स्थितियाँ

इसलिए कोई भी संदेह होने पर टेस्ट करवाना और पूरा इलाज करना बेहद जरूरी है।

क्या भारत में इससे निपटने के लिए नई योजनाएँ बन रही हैं?

भारत में कई पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम चल रहे हैं:

  • राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) द्वारा STI क्लीनिकों का विस्तार

  • नि:शुल्क टेस्टिंग और काउंसलिंग सेवाएँ

  • सुरक्षित यौन व्यवहार के लिए जागरूकता अभियान

  • मेडिकल कॉलेजों में ड्रग-रेज़िस्टेंस डेटा की मॉनिटरिंग

लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी भी STI टेस्टिंग को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल करना होगा ताकि ग्रामीण आबादी जल्दी टेस्ट करवा सके।

Conclusion | भविष्य में दुनिया को क्या करना होगा?

WHO की चेतावनी स्पष्ट संकेत देती है कि ड्रग-रेज़िस्टेंट गोनोरिया भविष्य में एक साइलेंट वैश्विक महामारी साबित हो सकता है, यदि अभी से इस पर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। बेहतर दवाओं, तेज़ टेस्टिंग, सुरक्षित यौन व्यवहार और जन-जागरूकता ही इस बीमारी को रोकने का सबसे मजबूत रास्ता हैं।

भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में यह चुनौती और भी बड़ी है, लेकिन समय रहते नीतियाँ मजबूत की जाएँ, टेस्टिंग सुलभ हो और लोग बिना शर्म के चिकित्सा सलाह लें—तो इस जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

विशेषज्ञों की सलाह है—
"किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षण को नज़रअंदाज न करें, तुरंत टेस्ट करवाएँ, और डॉक्टर द्वारा बताई गई पूरी दवा खत्म करें, चाहे लक्षण ठीक हो जाएँ। यही ड्रग-रेज़िस्टेंट संक्रमण को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।"

References
  • World Health Organization (WHO), AMR Surveillance Report, November 2025

  • CDC, STI Trends and Drug-Resistance Updates

  • AIIMS Delhi – विशेषज्ञ टिप्पणी

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। और न ही निवेश की सलाह है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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