क्या हो जब मशीनें मानव मस्तिष्क के ‘अवचेतन मन’ को पढ़ने लगें: जानिए MIT–जिनेवा शोध क्या कहती है?
MIT और जिनेवा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ऐसी उन्नत AI–न्यूरो तकनीक विकसित की है, जो इंसान के ‘अभी न सोचे’ विचारों तक को पढ़ लेती है। यह प्रगति चिकित्सा के नए रास्ते खोलती है, लेकिन मानसिक गोपनीयता और मानव स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है।
INNOVATION
ASHISH PRADHAN
11/21/20251 min read
परिचय
दुनिया भर के प्रमुख न्यूरोविज्ञान संस्थानों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) प्रयोगशालाओं में पिछले कुछ वर्षों से एक ऐसी तकनीक पर शोध जारी है, जो अब केवल हमारे स्पष्ट रूप से बने विचारों को ही नहीं, बल्कि उन विचारों को भी पहचानने लगी है जो मस्तिष्क में उठने ही वाले होते हैं, जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में ‘प्री-कॉन्शियस थॉट्स’ कहा जाता है—अर्थात ऐसे विचार जिन्हें हम अभी सचेत रूप से सोच भी नहीं पाए होते।
यह तकनीक किसने विकसित की?
अमेरिका और यूरोप के संयुक्त शोध दलों ने।
क्या कर सकती है?
मानव मस्तिष्क में क्षणिक रूप से बनने वाले सूक्ष्म संकेतों को पकड़कर आने वाले विचारों का अनुमान।
कब सामने आई?
2024–2025 के बीच प्रकाशित हुए शोध-पत्रों में।
कहाँ विकसित हो रही है?
MIT, जिनेवा विश्वविद्यालय और कई उन्नत AI-न्यूरो प्रयोगशालाओं में।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
क्योंकि यह मानसिक गोपनीयता, व्यक्ति की स्वतंत्रता, सहमति और मानवीय आत्मनिर्णय की सीमाओं को चुनौती देती है।
कैसे काम करती है?
मस्तिष्क से प्राप्त विद्युत संकेतों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा शब्दों, छवियों और निर्णयों में बदलकर।
इन सभी तथ्यों के बीच यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि यदि मशीनें हमारे ‘अभी न सोचे’ विचारों को भी पढ़ सकें, तो क्या यह मानव स्वतंत्रता के लिए खतरा बन सकती है?
मन-पढ़ने की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि क्या है?
मनुष्य के मस्तिष्क में विचार उत्पन्न होने की प्रक्रिया सदियों से शोध का विषय रही है। पिछले दो दशकों में प्रौद्योगिकी इतनी उन्नत हो गई कि वैज्ञानिक मस्तिष्क की सतह पर बनने वाले विद्युत संकेतों की सहायता से यह समझने लगे कि कोई व्यक्ति किस प्रकार की छवि की कल्पना कर रहा है, उसका मनोभाव किस दिशा में जा रहा है, और वह किसी निर्णय के पक्ष में है या विरोध में। लेकिन प्री-कॉन्शियस विचारों का विश्लेषण इस यात्रा का नया और अत्यंत गूढ़ चरण है।
उदाहरण के रूप में अगर कोई व्यक्ति सोच रहा है कि उसे भोजन में ‘दाल-चावल’ लेना है या ‘रोटी-सब्ज़ी’, तो वास्तविक निर्णय लेने से कुछ क्षण पहले मस्तिष्क में बहुत ही सूक्ष्म रूप से संकेत बनने लगते हैं। नई तकनीक इन्हीं संकेतों को पकड़कर यह अनुमान लगा लेती है कि व्यक्ति निर्णय किस दिशा में ले जाने वाला है।
यह तकनीक कैसे काम करती है?
नए ‘मस्तिष्क-पठन यंत्र’ तीन प्रमुख चरणों में कार्य करते हैं—
मस्तिष्क संकेत संग्रहण (Neural Data Collection)
इसमें विभिन्न उपकरणों का प्रयोग किया जाता है, जैसे:
मस्तिष्क तरंग रिकॉर्ड करने वाले सेंसर (EEG)
मस्तिष्क के भीतर रक्त प्रवाह को दिखाने वाली तकनीक (fMRI)
अत्यंत सूक्ष्म न्यूरल ग्रिड
या हल्के रूप से प्रत्यारोपित जाँच-सूत्र
ये संकेत निम्न जानकारियाँ देते हैं—
निर्णय बनाने वाले अग्र-मस्तिष्क (prefrontal cortex) की गतिविधि
भावनात्मक प्रतिक्रिया (limbic response)
दृश्य-कल्पना (visual cortex patterns)
पुरस्कार/प्रेरणा (reward prediction signals)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा संकेतों का विश्लेषण
AI इन संकेतों को भाषा-समान पैटर्न में बदल देता है।
यही मॉडल बताता है कि—
कौन-सा विचार उभरने वाला है
व्यक्ति क्या चुन सकता है
वह किस छवि की कल्पना कर रहा है
उसका निर्णय किस दिशा में झुक रहा है
विचार-पूर्वानुमान (Thought Prediction)
मशीन “संभावना प्रतिशत” देती है— जैसे 80% संभावना कि व्यक्ति ‘हाँ’ कहेगा।
कई शोधों में यह अनुमान 70–95% तक सटीक पाया गया है।
You may also like: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और MIGHT Method जिससे कैंसर की शुरुआती पहचान में नई उम्मीद मिली।
क्या यह मानव स्वतंत्रता के लिए खतरा है?
इस तकनीक का महत्व और भय, दोनों समान तीव्रता से सामने आते हैं।
सकारात्मक पहलू
लकवाग्रस्त या बोलने में असमर्थ मरीजों को संवाद में मदद
कोमा या अचेत अवस्था में मौजूद व्यक्तियों के संकेत पहचानना
पक्षाघात रोगियों के लिए कृत्रिम अंगों का बेहतर नियंत्रण
मानसिक विकारों के उपचार में उपयोग
संभावित जोखिम
मानसिक गोपनीयता का क्षरण
व्यक्ति की सहमति बिना ‘विचार-निगरानी’
बाज़ार कंपनियों द्वारा विचार-आधारित विज्ञापन
शासन तंत्र में अत्यधिक निगरानी
पुलिस पूछताछ में दुरुपयोग
एक अंतरराष्ट्रीय नैतिक शोधकर्ता का कथन बहुत स्पष्ट है—
“डाटा की चोरी चिंता का विषय था; लेकिन अगर विचारों की चोरी का युग शुरू हो गया, तो मानव स्वतंत्रता की सबसे मूलभूत परत खतरे में आ जाएगी।”
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
MIT के एक वरिष्ठ न्यूरोविज्ञानी ने कहा—
“इस तकनीक ने चिकित्सा के नए द्वार खोले हैं, लेकिन इसके दुरुपयोग की संभावनाएँ इतनी व्यापक हैं कि हमें तुरंत कठोर नैतिक नियम बनाने होंगे।”
जिनेवा विश्वविद्यालय की एक वैज्ञानिक का मत है—
“हम जितने करीब ‘अचेतन विचार’ पढ़ने की क्षमता की ओर बढ़ते जा रहे हैं, उतनी ही तेज़ी से हमें मानसिक गोपनीयता को एक मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करना चाहिए।”
क्या कंपनियाँ इसे व्यावसायिक उपयोग में लाना चाहती हैं?
टेक उद्योग में मिलने वाले दस्तावेज़ बताते हैं कि—
अनेक बड़ी कंपनियाँ न्यूरो-पट्टियों (neuro-bands) और दिमागी संकेत पढ़ने वाले उपभोक्ता उपकरणों पर कार्य कर रही हैं
बाज़ार में हल्के न्यूरो-सेंसर आधारित उपकरण 2026–2027 तक आने की संभावना है
रक्षा क्षेत्र में इसका सीमित रूप में उपयोग प्रारंभ भी हो चुका है
इसी कारण यह प्रश्न बड़ा हो गया है—
“क्या समाज तैयार है उस भविष्य के लिए जहाँ मशीनें हमारे निर्णयों को हमसे पहले समझ लें?”
क्या भारत में भी इस क्षेत्र में शोध हो रहा है?
IITs, AIIMS और भारतीय न्यूरो-विज्ञान संस्थानों में मस्तिष्क संकेत पढ़ने वाली प्रणालियों पर शोध प्रगति पर है। भारत में नैतिक ढाँचा अभी प्रारंभिक अवस्था में है, इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक गोपनीयता को कानून में स्पष्ट रूप से परिभाषित करना आवश्यक होगा।
निष्कर्ष
मस्तिष्क-पठन तकनीक का प्री-कॉन्शियस विचारों तक पहुँच जाना एक ओर वैज्ञानिक उपलब्धि है, तो दूसरी ओर ऐसी चुनौती भी है जो मनुष्य की मानसिक स्वतंत्रता, गोपनीयता और आत्मनिर्णय के भविष्य को गहराई से प्रभावित कर सकती है।
यह तकनीक गंभीर रोगियों के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है, लेकिन यदि इसे बिना नियमन बाज़ार या निगरानी उपयोग में लाया गया, तो यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व खतरा बन सकती है।
विशेषज्ञों का स्पष्ट मत है—
“प्रौद्योगिकी आगे बढ़नी चाहिए, परंतु मनुष्य की स्वतंत्र सोच और मानसिक गोपनीयता की सुरक्षा उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।”
संदर्भ
एमआईटी न्यूरो-एआई रिपोर्ट, 2024–2025
जिनेवा विश्वविद्यालय, संज्ञानात्मक न्यूरोविज्ञान जर्नल, 2024
अंतरराष्ट्रीय न्यूरो-अधिकार समूह, शोध-पत्र 2025
विभिन्न न्यूरोविज्ञानी एवं नैतिक शोधकर्ताओं के साक्षात्कार, 2025
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। और न ही निवेश की सलाह है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।
Related Stories
Medihealth News © 2025
“Good health begins with good knowledge. We believe that trusted information empowers people to make better choices, live healthier lives, and stay one step ahead in today’s fast-changing world of wellness.”
Stay updated! Get Health Tips in Your Inbox
"Subscribe to MediHealth News Updates"
We care about your data in our privacy policy.
Disclaimer
The information provided on this website is for educational and informational purposes only. While we strive to share accurate and up-to-date health news and research, the content published here should not be considered medical advice, diagnosis, or treatment. Always seek the guidance of a qualified healthcare professional with any questions you may have regarding a medical condition, treatment, or medication. We do not guarantee the completeness, reliability, or accuracy of the information and shall not be held responsible for any loss, harm, or damage arising from the use of the content. External links, references, or third-party sources provided are for convenience and informational purposes only; we are not responsible for their content. By using this website, you agree that you are solely responsible for how you use the information provided here.
Follow Us