बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के केस दोगुने: नई रिपोर्ट ने माता-पिता और डॉक्टरों में खतरे की घंटी बजा दी
पिछले दो दशकों में बच्चों और किशोरों में हाई ब्लड प्रेशर के मामले तेजी से दोगुने हुए हैं—और विशेषज्ञ इसे आने वाले वर्षों का सबसे बड़ा हेल्थ अलर्ट मान रहे हैं। मोटापा, स्क्रीन टाइम, तनाव और गलत खान-पान जैसी आदतें बच्चों के दिल और शरीर पर गंभीर असर डाल रही हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि यह समस्या कितनी बढ़ चुकी है, इसके असली कारण क्या हैं, ‘मास्क्ड हाइपरटेंशन’ कितना खतरनाक है और माता-पिता इसे समय रहते कैसे रोक सकते हैं।
MEDICAL NEWS
ASHISH PRADHAN
11/22/20251 min read


बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर दो गुना बढ़ गया: मोटापा और बदलती जीवनशैली बना सबसे बड़ा खतरा
आज के समय में दुनिया जिस तेज़ी से बदल रही है, उसी तेज़ी से बीमारियाँ भी अपना रूप बदल रही हैं। पहले तक हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) को “बड़ों की बीमारी” माना जाता था—लेकिन अब यह बीमारी धीरे-धीरे बच्चों और किशोरों (यानी 5 से 19 साल के युवाओं) में भी तेजी से फैल रही है। विश्व स्तर पर किए गए ताज़ा अध्ययन बताते हैं कि साल 2000 से 2020 के बीच बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के मामले लगभग दोगुने हो चुके हैं।
यह आंकड़ा जितना डराने वाला है, उतना ही यह हमारी आंखें खोलने वाला भी है।
इसका सबसे बड़ा कारण है—मोटापा, असंतुलित खान-पान, कम शारीरिक गतिविधि, स्क्रीन टाइम का बढ़ना और तनाव।
इस विस्तृत रिपोर्ट में हम समझेंगे—
यह समस्या कितनी बड़ी है
बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर क्यों बढ़ रहा है
इसके लक्षण क्यों पकड़ में नहीं आते
“मास्क्ड हाइपरटेंशन” क्या होता है
बच्चों के दिल और शरीर पर इसका क्या असर पड़ता है
और माता-पिता इस समस्या को कैसे रोक सकते हैं
बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर क्यों चिंता की सबसे बड़ी वजह बन गया?
अध्ययन बताते हैं कि पहले जहाँ लगभग 3% बच्चे हाई ब्लड प्रेशर से प्रभावित पाए जाते थे, अब यह आंकड़ा बढ़कर 6% से भी ज़्यादा हो गया है। यानी हर 100 में से 6 बच्चे अब इस बीमारी से जूझ रहे हैं।
भारत जैसे देश में यह समस्या और भी गंभीर है, क्योंकि—
शहरों में फास्ट-फूड की आदतें
गांवों में बाहर खेलकूद का कम होना
मोबाइल-गेम्स में बढ़ती रुचि
7–8 साल से ही मोटापे की शुरुआत
तनाव बढ़ाने वाली शिक्षा प्रणाली
ये सब मिलकर एक ऐसा माहौल बना रहे हैं, जिसमें छोटा बच्चा भी “दिल की बीमारी” की राह पर चल पड़ता है।
हाई ब्लड प्रेशर क्या होता है? (सरल भाषा में)
दिल शरीर में खून पंप करता है। जब दिल यह काम सामान्य से ज़्यादा दबाव डालकर खून पंप करता है, तो इसे ही हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं।
जिस तरह पानी का पंप पाइप पर बहुत जोर से दबाव डाले, तो पाइप फटने की संभावना होती है, ठीक वैसे ही हमारे खून की नलियाँ भी ज़्यादा दबाव झेलते-झेलते प्रभावित हो जाती हैं। बड़ों में यह बात समझ में आती है, लेकिन बच्चों में यह क्यों हो रहा है—यह अपने आप में बड़ी चिंता का विषय है।
बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर बढ़ने के मुख्य कारण
1. मोटापा (सबसे बड़ा कारण)
आजकल बहुत कम उम्र में बच्चे पेट के आसपास चर्बी जमा कर लेते हैं।
पैकेट वाला खाना
मीठे कोल्ड ड्रिंक
जंक फूड
चिप्स, पिज्जा, बर्गर
कम पानी
देर रात सोना
ये सभी चीजें वजन बढ़ाती हैं, और वजन बढ़ने से दिल पर दबाव बढ़ता है।
2. मोबाइल और स्क्रीन टाइम
20 साल पहले बच्चे मैदानों में खेलते थे।
आज बच्चे मोबाइल, टीवी, टैबलेट में घंटों खोए रहते हैं।
स्क्रीन टाइम जितना बढ़ता है—
शरीर उतना कम चलता है
मोटापा उतनी जल्दी बढ़ता है
और ब्लड प्रेशर भी उतना ही ऊपर जाता है
3. नमक की अधिक मात्रा
बच्चों के नाश्तों में नमक और मसाले बहुत ज़्यादा होते हैं—
चिप्स
फ्रेंच फ्राइज
पैक्ड स्नैक्स
ये सब ब्लड प्रेशर बढ़ाते हैं।
4. तनाव (हाँ—बच्चे भी तनाव लेते हैं)
आज के समय में बच्चों पर पढ़ाई का दबाव बहुत बढ़ चुका है। कॉम्पिटिशन, सोशल मीडिया, स्कूल प्रेशर, परिवार के झगड़े—ये सब बच्चों के अंदर तनाव पैदा करते हैं, जिससे उनका ब्लड प्रेशर असामान्य रूप से बढ़ जाता है।
5. परिवार में हाई बीपी का इतिहास
अगर माता या पिता को हाई ब्लड प्रेशर है, तो बच्चों में इसकी संभावना काफी बढ़ जाती है।
बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर पकड़ में क्यों नहीं आता?
बच्चों के शरीर में कई बार लक्षण बहुत हल्के होते हैं, जैसे—
सिरदर्द
थकान
चिड़चिड़ापन
पढ़ाई में ध्यान कम होना
रात को नींद ठीक से न आना
माता-पिता इनको आम बात समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।
सबसे खतरनाक बात यह है कि 60% बच्चों में कोई लक्षण होते ही नहीं।
यही कारण है कि डॉक्टर इसे “साइलेंट किलर” कहते हैं।
मास्क्ड हाइपरटेंशन—सबसे खतरनाक रूप
नए अध्ययन में पाया गया है कि कई बच्चों में हाई बीपी क्लिनिक में सामान्य दिखाई देता है, लेकिन घर पर असल दबाव बहुत अधिक होता है। इसे कहते हैं—Masked Hypertension इसकी दर बच्चों में लगभग 9% तक पाई गई है।
यानी 100 में से 9 बच्चे ऐसे हैं जिनका ब्लड प्रेशर डॉक्टर के सामने तो ठीक दिखता है, लेकिन घर पर खतरनाक स्तर तक बढ़ा रहता है।
माता-पिता इसे तब तक नहीं पकड़ पाते, जब तक कि समस्या बड़ी न हो जाए।
बच्चों के शरीर पर इसका असर क्या पड़ता है?
अगर बचपन में हाई बीपी शुरू हो जाए, तो भविष्य में यह कई बड़ी बीमारियों का कारण बन सकता है—
दिल के आकार का बढ़ जाना
ब्लड वेसेल्स का कठोर होना
किडनी को नुकसान
मोटापा और डायबिटीज
25–30 साल की उम्र तक हार्ट अटैक का जोखिम
यानी बचपन की यह समस्या आगे चलकर युवा उम्र में भी दिल-दिमाग को भारी नुकसान पहुँचा सकती है।
क्या बच्चे भी दवाइयाँ लेते हैं?
जरूरी होने पर डॉक्टर दवाइयाँ देते हैं, लेकिन पहले चरण में वे यही सलाह देते हैं—
वजन कम करना
रोज 45 मिनट खेलना
नमक कम करना
मीठा कम करना
स्क्रीन टाइम घटाना
तनाव कम करना
कई बच्चे केवल लाइफस्टाइल बदलने से ही ठीक हो जाते हैं।
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माता-पिता क्या करें? (सबसे महत्वपूर्ण भाग)
1. हर 6 महीने में बच्चे का ब्लड प्रेशर चेक करवाएँ
जैसे टीका लगवाते हैं, वैसे ही बीपी जांच भी महत्वपूर्ण है।
2. जंक फूड घर से हटाएँ
अगर घर में मौजूद रहेगा तो बच्चा खाएगा ही।
3. रोज कम से कम 45 मिनट आउटडोर खेल
नियम बना दें—कि मोबाइल तभी मिलेगा जब बच्चा 45 मिनट दौड़-भाग करेगा।
4. परिवार में झगड़े कम करें
बच्चों का तनाव बीपी बढ़ाने में बड़ा कारण बनता है।
5. नमक की मात्रा कम करें
खाने में नमक और पैक्ड स्नैक्स दोनों कम करें।
6. स्क्रीन टाइम 1–2 घंटे से ज़्यादा न हो
यह नियम पूरा परिवार मिलकर पालन करे।
7. पानी भरपूर पिलाएँ
शरीर में हाइड्रेशन अच्छा रहे तो दिल पर दबाव कम पड़ता है।
क्या यह समस्या रोकी जा सकती है?
हाँ—हाई ब्लड प्रेशर का 70% हिस्सा सिर्फ और सिर्फ लाइफस्टाइल से ठीक हो सकता है।
अगर बच्चा—
दौड़ता है
खेलता है
कम नमक खाता है
अच्छी नींद लेता है
तनाव से दूर रहता है
तो उसका ब्लड प्रेशर बिल्कुल सामान्य रह सकता है।
सरकार और समाज का क्या रोल है?
यह समस्या सिर्फ माता-पिता की नहीं है।
स्कूलों और समाज को भी ध्यान रखना होगा—
स्कूलों में स्पोर्ट्स अनिवार्य किया जाए
कैंटीन में जंक फूड BAN हो
गाँवों-कस्बों में बच्चों के लिए खेल के मैदान हों
स्वास्थ्य जांच नियमित हो
बच्चों को मानसिक तनाव से मुक्त रखने के प्रयास हों
निष्कर्ष
बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का दोगुना हो जाना एक “हेल्थ अलार्म” है।
अगर अभी सावधानी नहीं बरती गई, तो आने वाले 10–20 वर्षों में युवा पीढ़ी में दिल की बीमारियों का विस्फोट हो सकता है।
अच्छी बात यह है कि—
यह बीमारी रोकी जा सकती है, और सही समय पर पकड़ ली जाए तो पूरी तरह से नियंत्रित भी हो सकती है।
माता-पिता, स्कूल और समाज—तीनों मिलकर इस दिशा में कदम उठाएँ, तभी हमारे बच्चों का भविष्य स्वस्थ और सुरक्षित रहेगा।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। और न ही निवेश की सलाह है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।
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