क्‍या मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों की किडनी को पहुंचा सकता है नुकसान?

Pediatric Nephrology में छपे नए अध्ययन में पाया गया कि ज़्यादा स्क्रीन टाइम और कम नींद से किशोरों में किडनी की शुरुआती समस्या बढ़ रही है।

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ASHISH PRADHAN

11/12/20251 min read

नई मेडिकल रिसर्च बताती है कि अधिक स्क्रीन टाइम से किडनी को शुरुआती नुकसान हो सकता है
नई मेडिकल रिसर्च बताती है कि अधिक स्क्रीन टाइम से किडनी को शुरुआती नुकसान हो सकता है

स्क्रीन टाइम और किडनी की सेहत: एक नया अध्ययन जो यह बताता है कि ज़्यादा मोबाइल या टीवी देखना गुर्दे पर असर डाल सकता है

भूमिका

27 अक्टूबर 2025 को Pediatric Nephrology नाम की मेडिकल जर्नल में एक दिलचस्प अध्ययन छपा, जिसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि जो किशोर (Teenagers) दिन में ज़्यादा समय मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बिताते हैं, उनमें अल्ब्युमिनूरिया (Albuminuria) नाम की शुरुआती किडनी की समस्या देखने को मिली।

यह समस्या तब होती है जब मूत्र (urine) में एक प्रोटीन “अल्ब्युमिन” ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा में निकलने लगता है। यह किडनी में हल्की चोट या शुरुआती नुकसान का संकेत होता है।

शोध चीन के पाँच प्रांतों में किया गया था, जिसमें करीब 4,500 किशोरों को शामिल किया गया। रिसर्च टीम ने उनके स्क्रीन टाइम, नींद और स्वास्थ्य की जांच की। नतीजे चौंकाने वाले थे — जितना ज़्यादा स्क्रीन टाइम, उतनी ज़्यादा किडनी पर असर की संभावना।

पृष्ठभूमि: आज के बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम

आज लगभग हर बच्चा दिनभर मोबाइल, टैबलेट, टीवी या कंप्यूटर पर पढ़ाई, गेम, वीडियो या सोशल मीडिया में व्यस्त रहता है।

यह डिजिटल दुनिया जो ज्ञान देती है, वहीं बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी असर भी डाल रही है।

लंबे समय तक बैठकर स्क्रीन देखने से —

  • शरीर में गतिविधि (activity) कम हो जाती है।

  • वज़न बढ़ने (obesity) का खतरा बढ़ जाता है।

  • ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर असंतुलित हो सकता है।

और अब इस अध्ययन के मुताबिक, किडनी पर भी असर पड़ सकता है।

अल्ब्युमिनूरिया क्या है और क्यों खतरे की घंटी है?

हमारी किडनी शरीर से गंदगी और अतिरिक्त पानी निकालती है, लेकिन ज़रूरी प्रोटीन और पोषक तत्वों को रोककर रखती है।

जब किडनी में हल्का नुकसान होता है, तो यह प्रोटीन “अल्ब्युमिन” मूत्र में आने लगता है।

इसे ही अल्ब्युमिनूरिया कहते हैं — यह संकेत है कि किडनी अब पूरी तरह स्वस्थ नहीं है।

अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह आगे चलकर क्रॉनिक किडनी डिज़ीज (CKD) या गुर्दे की गंभीर बीमारी बन सकती है।

अध्ययन के मुख्य परिणाम

शोध के नतीजे बताते हैं कि

  1. जिन किशोरों का स्क्रीन टाइम 1–2 घंटे रोज़ाना था, उनमें अल्ब्युमिनूरिया का खतरा 1.6 गुना ज़्यादा था।

  2. जिनका स्क्रीन टाइम 2 घंटे से ज़्यादा था, उनमें यह खतरा 1.3 गुना ज़्यादा पाया गया।

  3. जिन बच्चों की नींद कम थी, उनमें यह समस्या और ज़्यादा बढ़ गई।

इसका मतलब साफ है कि स्क्रीन पर ज़्यादा समय और कम नींद, दोनों मिलकर किडनी को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

जाने ऐसा क्यों होता है?

वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका मुख्‍य कारण हमारी बैठे रहने की जीवनशैली (Sedentary lifestyle) है।

जब हम स्क्रीन पर ज़्यादा समय बिताते हैं तब हम स्‍वाभाविक रूप से कम चलते-फिरते हैं। और भूख लगने की स्‍थिति में ज़्यादा जंक-फूड खाते हैं। देर रात तक जागते हैं और जिसके कारण नींद पूरी नहीं होती। जिससे शरीर में शुगर और ब्लड प्रेशर की मात्रा बढ़ सकती है।

ये सभी बातें धीरे-धीरे किडनी पर दबाव डालती हैं और फिल्टरिंग सिस्टम को कमजोर कर देती हैं।

डॉक्टरों की राय

अध्ययन के मुख्य लेखक प्रो. हैयुआन झू का कहना है —

“आज के किशोरों में स्क्रीन टाइम बहुत बढ़ गया है। यह अध्ययन बताता है कि सिर्फ आंखों या मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि किडनी पर भी इसका असर हो सकता है।”

दिल्ली के नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी विशेषज्ञ) डॉ. अनूप शर्मा कहते हैं —

“अगर बच्चों में शुरू में ही ऐसी छोटी किडनी समस्याएं दिख जाएं, तो सही समय पर बदलाव करके भविष्य में बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।”

भारत में इसकी अहमियत

भारत में मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग तेज़ी से बढ़ा है। स्कूल-कॉलेज के बच्चों में ऑनलाइन गेम्स और सोशल मीडिया की लत आम हो गई है। इसलिए, अगर ऐसे निष्कर्षों को गंभीरता से न लिया गया तो भविष्य में किशोरों में किडनी की बीमारियाँ बढ़ सकती हैं।

ज़रूरी है कि:

  • स्कूलों में “डिजिटल हाइजीन” की शिक्षा दी जाए।

  • माता-पिता बच्चों के स्क्रीन टाइम पर नज़र रखें।

  • बच्चे कम से कम 8 घंटे की नींद लें और रोज़ाना थोड़ा शारीरिक व्यायाम करें।

आगे का रास्ता

यह अध्ययन अभी शुरुआती स्तर का है, इसलिए वैज्ञानिकों का कहना है कि आगे और लंबी अवधि वाले अध्ययन (Long-term studies) की ज़रूरत है ताकि यह तय किया जा सके कि वास्तव में स्क्रीन टाइम ही किडनी की समस्या का कारण है या कोई और वजह भी है।

फिर भी, यह परिणाम हमें चेतावनी देते हैं कि अगर हम अपनी डिजिटल आदतों पर नियंत्रण नहीं रखते, तो आने वाली पीढ़ियाँ “स्क्रीन-किडनी समस्या” का सामना कर सकती हैं।

निष्कर्ष

अध्ययन का सबसे बड़ा संदेश यही है —

“जितना कम स्क्रीन टाइम, उतनी ज़्यादा किडनी की सुरक्षा।”

दिन में 1 से 2 घंटे से ज़्यादा स्क्रीन का उपयोग न करें, पूरी नींद लें, और शारीरिक गतिविधि ज़रूर करें।

थोड़ी-सी सावधानी न सिर्फ आंखों और दिमाग़ को बचाएगी, बल्कि आपकी किडनी को भी लंबे समय तक स्वस्थ रखेगी।

स्रोत:

Zhu H., Zhang R., Li C. et al., “Excessive screen time in relation to albuminuria in adolescents: a finding from the China Nutrition and Health Surveillance”, Pediatric Nephrology, 27 Oct 2025.

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। और न ही निवेश की सलाह है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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