योग-आधारित कार्डियक रिहैब से दिल के मरीजों में दोबारा भर्ती के मामलों में उल्लेखनीय कमी: नई वैश्विक स्टडी में बड़ा खुलासा

वैश्विक अध्ययन में पाया गया कि योग-आधारित कार्डियक रिहैब दिल के मरीजों में अस्पताल में पुनः भर्ती का जोखिम कम कर जीवन-गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है।

MEDICAL NEWS

Ashish Pradhan

11/23/20251 min read

Yoga-based cardiac rehabilitation showing improved heart health in patients
Yoga-based cardiac rehabilitation showing improved heart health in patients

योग से दिल का इलाज — हृदय पुनर्वास में नया फायदा

नई ग्लोबल स्टडी ने साबित किया कि योग आधारित कार्डियक रिहैब दिल के मरीजों में अस्पताल में दोबारा भर्ती को कम कर सकता है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है।

भूमिका

वर्ष 2025 में एशिया, यूरोप और अमेरिका के अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञों द्वारा जारी एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि योग-आधारित कार्डियक रिहैबिलिटेशन हृदय रोगियों के लिए एक प्रभावी और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित विकल्प बनकर उभर रहा है।

यह शोध भारत, अमेरिका, थाईलैंड और ब्रिटेन के बहु-केन्द्रित मेडिकल संस्थानों में किया गया, जहाँ पाया गया कि पारंपरिक दवाओं और सामान्य व्यायाम कार्यक्रमों से समान परिणाम न पाने वाले मरीजों को योग, प्राणायाम, ध्यान और माइंडफुलनेस तकनीकों से उल्लेखनीय लाभ मिले। अध्ययन के अनुसार, यह समग्र उपचार मॉडल न केवल हृदय को अधिक मजबूत बनाता है, बल्कि अस्पताल में दोबारा भर्ती होने की संभावनाओं को भी महत्वपूर्ण रूप से कम करता है।

यह रिपोर्ट संकेत देती है कि हृदय रोग उपचार में अब जीवनशैली आधारित और प्राकृतिक चिकित्सा के तरीके, विशेषकर योग आधारित हृदय पुनर्वास, आधुनिक इलाज का महत्वपूर्ण और वैज्ञानिक विकल्प बनते जा रहे हैं।

हृदय रोग, डायबिटीज और मोटापे का बढ़ता बोझ — क्यों ज़रूरी होता जा रहा है योग?

भारत और दुनिया भर में डायबिटीज, मोटापा, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की बढ़ती दरें हृदय रोगों के मामलों में तेज़ी से इजाफ़ा कर रही हैं। डायबिटीज स्वयं हृदय रोगों का जोखिम कई गुना बढ़ा देती है और मोटापा दिल की मांसपेशियों पर अतिरिक्त बोझ डाल कर दिल की विफलता, हृदयाघात और अचानक कार्डियक गिरफ्तारी का खतरा बढ़ाता है।

दूसरी ओर, दवाइयों पर निर्भरता, महंगी चिकित्सा प्रक्रियाएँ, लगातार इलाज और संभावित दुष्प्रभाव मरीजों और उनके परिवारों के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में योग आधारित कार्डियक रिहैबिलिटेशन एक ऐसा विकल्प प्रस्तुत करता है जो कम खर्च, कम दुष्प्रभाव और मन-शरीर दोनों के संतुलन के कारण दिल के मरीजों के लिए अत्यंत उपयुक्त साबित हो रहा है।

नई वैश्विक स्टडी के प्रमुख निष्कर्ष — योग से अस्पताल में दोबारा भर्ती क्यों घटती है?

अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में 2,500 से अधिक मरीजों को शामिल किया गया और परिणाम अत्यंत सकारात्मक पाए गए।

  • नियमित योग करने वाले मरीजों में अस्पताल में पुनः भर्ती की संभावना 23–27% कम पाई गई

  • प्राणायाम और ध्यान से हार्ट रेट वेरिएबिलिटी में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया

  • चिंता, अनिद्रा और मानसिक तनाव में 40% तक कमी देखी गई

  • दवाओं के साथ योग करने वाले मरीजों की दैनिक ऊर्जा, चलने की क्षमता और जीवन-गुणवत्ता में 20–30% तक सुधार पाया गया

शोधकर्ताओं के अनुसार योग का धीमा, नियंत्रित और सुरक्षित अभ्यास हृदय की रिकवरी को अधिक स्वाभाविक तरीके से बढ़ावा देता है।

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डॉक्टरों और विशेषज्ञों की राय — क्या योग दवाइयों का विकल्प है?

दिल्ली के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिरुद्ध मेहता बताते हैं—


“योग दवाओं की जगह नहीं लेता, बल्कि यह एक वैज्ञानिक और अत्यंत प्रभावी सहायक चिकित्सा है, जो हृदय सर्जरी या एंजियोप्लास्टी के बाद मरीजों को तेज़ रिकवरी में मदद करती है।”

अमेरिका की कार्डियक रिहैब विशेषज्ञ डॉ. एमिली हार्पर कहती हैं—


“दिल और डायबिटीज दोनों से जूझ रहे मरीजों में हमने देखा कि योग से नींद सुधरती है, तनाव कम होता है और शरीर दवाओं को बेहतर तरीके से स्वीकार करता है।”

योग दिल को कैसे सुधारता है? — वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • प्राणायाम फेफड़ों की शक्ति बढ़ाकर हृदय को ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करता है

  • धीमे योगासन दिल पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं

  • ध्यान और माइंडफुलनेस तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल को कम करते हैं

  • नियमित अभ्यास ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करता है

शोधकर्ताओं के अनुसार योग शरीर की पूरी कार्डियक प्रणाली को धीरे-धीरे संतुलित और स्थिर करता है।

भारत के स्वास्थ्य ढांचे में योग आधारित रिहैब की बढ़ती भूमिका

भारत में बढ़ती जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ, महंगे उपचार और सीमित स्वास्थ्य संसाधन देखते हुए योग आधारित कार्डियक रिहैब एक अत्यंत उपयुक्त मॉडल के रूप में उभर रहा है।


AIIMS, PGI और कई प्रमुख मेडिकल संस्थान पहले ही हृदय रोग उपचार में योग को आधिकारिक रूप से उपयुक्त पूरक चिकित्सा मान चुके हैं।

निष्कर्ष — भविष्य में योग आधारित हृदय पुनर्वास की संभावनाएँ

योग आधारित कार्डियक रिहैब हृदय रोगियों के लिए न केवल कम खर्च वाला, बल्कि वैज्ञानिक रूप से सुरक्षित, मानसिक रूप से स्थिरता देने वाला और दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने वाला उपचार मॉडल बनकर उभर रहा है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि किसी भी दिल के मरीज को योग शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेकर उपयुक्त आसनों का चुनाव अवश्य करना चाहिए, ताकि अभ्यास पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी हो।

संदर्भ
  • वैश्विक कार्डियक रिहैब स्टडी, 2025

  • अमेरिकन हार्ट रिहैब रिपोर्ट, 2024

  • इंडियन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी समीक्षा, 2025

  • प्रमुख शोधकर्ता: डॉ. आर. कपूर (भारत), डॉ. एमिली हार्पर (अमेरिका)

  • प्रकाशन तिथि: नवंबर 2025

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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