Achilles Tendinopathy: एथलीट्स की एड़ी का ‘साइलेंट दर्द’ — जब फिटनेस जुनून बन जाए टेंडन की चुनौती
जब हम फिटनेस, दौड़ और सक्रिय जीवन को स्वास्थ्य की पहचान मानते हैं, उसी समय शरीर का सबसे मजबूत जोड़ — Achilles tendon — चुपचाप चोटिल हो सकता है। Achilles Tendinopathy, यानी पिंडली से एड़ी तक की वह गूंजती हुई तकलीफ़, जो धीरे-धीरे दर्द, सूजन और चलने-फिरने में असहजता का कारण बन जाती है। यह समस्या केवल एथलीट्स तक सीमित नहीं है; अब यह मध्यम-वय के व्यायाम करने वाले, मोटापे या मधुमेह से पीड़ित लोगों में भी तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सही eccentric exercise, shock-wave therapy और जीवनशैली-संतुलन से इस ‘साइलेंट दर्द’ को नियंत्रित किया जा सकता है। भारत में इसकी पहचान और फिजियोथेरेपी-सुविधाओं की कमी इसे और गंभीर बनाती है। इस रिपोर्ट में जानिए इसके कारण, लक्षण, उपचार-विकल्प और भारत में फिटनेस-संस्कृति पर इसके प्रभाव की पूरी कहानी।
HEALTH TIPSDISEASES
ASHISH PRADHAN
10/20/20251 min read


अखीलीस टेंडिनोपैथी (Achilles Tendinopathy) — पिंडली से एड़ी तक की धड़कनों में गूंजती चोट, कारण, चुनौतियाँ और उपचार की छिपी तस्वीर
परिचय
जब हमारी पिंडली (calf) से एड़ी (heel) को जोड़ने वाली शरीर की सबसे मजबूत और सबसे बड़ी Achilles टेंडन पर बार-बार या अचानक ज़्यादा दबाव पड़ता है, तब यह धीरे-धीरे एक गंभीर स्थिति में बदल सकती है — जिसे हम कहते हैं Achilles Tendinopathy।
यह एक ऐसी मेडिकल स्थिति है, जिसमें टेंडन में दर्द, सूजन और लचक की कमी के साथ उसकी सामान्य कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।
कौन ज़्यादा प्रभावित होते हैं?
ज़्यादातर यह समस्या एथलीट्स, नियमित दौड़ने या व्यायाम करने वाले लोगों, मध्यम आयु वर्ग के फिटनेस उत्साहियों, और मोटापा या मधुमेह (diabetes) जैसी सह-स्थितियों वाले व्यक्तियों में देखी जाती है।
यह कहाँ और कब होती है?
आमतौर पर यह टेंडन के बीच वाले हिस्से (एड़ी से लगभग 2–7 सेमी ऊपर) या उसके जकड़ाव बिंदु (heel insertion area) पर होती है। यह स्थिति अक्सर तब शुरू होती है जब कोई व्यक्ति अचानक अपनी दौड़ या वर्कआउट की तीव्रता बढ़ा देता है, या लंबे समय से टेंडन पर अनदेखा तनाव बना रहता है।
क्यों होती है यह समस्या?
इसका कारण है — टेंडन पर बार-बार पड़ने वाला दबाव (repetitive load), रक्त-संचार में कमी, ऊतकों का कमजोर होना और असमय या अधूरा उपचार। मधुमेह और मोटापा जैसी स्थितियाँ इस जोखिम को और बढ़ा देती हैं, क्योंकि ये टेंडन के पुनर्निर्माण (healing) की गति को धीमा करती हैं।
कैसे बढ़ती है यह स्थिति?
जब टेंडन लगातार लोड झेलता रहता है, तो उसकी इलास्टिक क्षमता कम होने लगती है। सूक्ष्म आघात (microtrauma) का सिलसिला शुरू होता है, ऊतकों की मरम्मत-प्रक्रिया कमजोर पड़ जाती है, और धीरे-धीरे एक दर्दनाक चक्र बन जाता है जिसे हम ‘टेंडिनोपैथी’ कहते हैं।
इस लेख में आगे हम विस्तार से समझेंगे —
Achilles टेंडिनोपैथी की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि, इसके जोखिम-कारक, मोटापा और मधुमेह जैसी स्थितियों के साथ इसका संबंध, और कैसे नई चिकित्सा-पद्धतियाँ (जैसे “weight loss injection”, “obesity drug”, “diabetes treatment”) अप्रत्यक्ष रूप से हमारे टेंडन स्वास्थ्य (tendon health) को प्रभावित करती हैं।
पृष्ठभूमि एवं संदर्भ
अखीलीस टेंडिनोपैथी का विज्ञान
अखीलीस टेंडन मानव शरीर में मांसपेशियों (गैस्ट्रोक्नेमियस एवं सोलेयस) को एड़ी से जोड़ता है और हमें दौड़ने-चालने के दौरान पिंडली का बल लगाने में सहायता देता है। जब यह टेंडन बार-बार लोड के अधीन आता है, तो उसकी रचना में बदलाव आता है — मसलन टेंडन के बीच इलास्टिक फाइबर टूटना, कोलेजन-रचना विकृत होना, सूक्ष्म रक्त-नलीय आपूर्ति में कमी, और ऊतक सफाई-और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया धीमी हो जाना।
इन परिवर्तनों के चलते टेंडन में लक्षण उत्पन्न होते हैं — दर्द, स्कफिंग (धक्का-टक्कर महसूस होना), सुबहें टंगड़ापन, एड़ी के पीछे हल्की-सी सूजन। उपरोक्त प्रक्रियाओं को मेडिकल भाषा में ‘टेंडिनोपैथी’ कहा जाता है, क्योंकि यह पारंपरिक ‘टेंडनाइटिस’ (सूजन) से अधिक जटिल है — इसमें रोग-प्रगति, ऊतक विकृति और कमजोर पुनरुत्थान शामिल है।
Tendinopathy की व्यापकता अलग-अलग अध्ययन में पाई गई है; उदाहरणस्वरूप एक नवीन प्रतिपादन में कहा गया है कि वयस्कों में इसकी घटना लगभग 2.35 प्रति 1000 व्यक्ति-वर्ष रही है। यह संकेत करता है कि यह सिर्फ एथलीट्स की समस्या नहीं बल्कि सामान्य आबादी में भी बढ़ती हुई चुनौती है।
सह-रुग्णता, मोटापा एवं मधुमेह का प्रभाव
जब हम “diabetes treatment and obesity drug”, “weight loss injection” जैसे स्वास्थ्य-प्रवर्तक शब्द सुनते हैं, तो अक्सर यह माना जाता है कि ये केवल मधुमेह या मोटापे के प्रबंधन की सीमा में हैं; परंतु इनका प्रभाव टेंडन स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। उदाहरण के लिए, मोटापे (obesity) से पिंडली एवं एड़ी के बीच का यांत्रिक लोड बढ़ जाता है — क्योंकि शरीर-भार बढ़ जाने से टेंडन पर दबाव और बढ़ जाता है। इससे सूक्ष्मआघात की संभावना बढ़ जाती है, पुनरुत्थान धीमा होता है और अंततः टेंडिनोपैथी का खतरा बढ़ता है।
उसी तरह, मधुमेह (diabetes) में रक्त-नलियों एवं ऊतकों की माइक्रोसर्कुलेशन प्रभावित होती है, जिससे टेंडन के ऊतक-पुनरुद्धार में बाधा आती है। इस दृष्टि से “diabetes treatment” और “obesity drug” जैसे विषय सीधे-सीधे अखीलीस टेंडिनोपैथी से सम्बद्ध नहीं हैं, परन्तु व्यापक स्वास्थ्य-संदर्भ (overall musculoskeletal health) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मोटापे को नियंत्रित करने वाली दवाएं जैसे कि “weight loss injection”, “liraglutide benefits” इत्यादि भविष्य में टेंडन-लाभों की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती हैं — क्योंकि कम मोटापा = कम यांत्रिक लोड = बेहतर टेंडन-स्वास्थ्य।
हालाँकि अभी ऐसी दवाओं का अध्ययन विशेष रूप से अखीलीस टेंडिनोपैथी में कम है, पर यह ध्यान देने योग्य है कि टेंडन स्वास्थ्य सिर्फ प्रशिक्षण-चालक नहीं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य-प्रबंधन (metabolic health) से भी जुड़ा है।
उपचार-चुनौतियाँ
अखीलीस टेंडिनोपैथी उपचार में चुनौतियाँ इस प्रकार हैं:
निदान में देरी — क्योंकि शुरुआत में दर्द हल्का-सा होता है, सहज गतिविधियों में बाधा नहीं डालता; मरीज अक्सर उसे अनदेखा कर देते हैं।
टेंडन की पुनरुत्थान प्रक्रिया धीमी होती है — इलास्टिक फाइबर टूटने के बाद उनकी मरम्मत सहज नहीं होती।
उपलब्ध चिकित्सा-साक्ष्य में ‘श्रेष्ठ उपचार’ (gold-standard) का अभाव है — अनेक अध्ययन हैं लेकिन उच्च-गुणवत्ता वाली आरसीटी (RCTs) कम हैं। उदाहरण के लिए, विभिन्न उपचार (एक्सरसाइज, इंजेक्शन, शॉक-वेव थेरपी) में बड़े अंतर नहीं मिले हैं।
सह-रुग्णताओं (जैसे मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप) का प्रभाव — जिससे टेंडन-स्वास्थ्य को सुधारना और भी जटिल हो जाता है।
मरीज-सहयोग (compliance) का अभाव — उदाहरण के लिए, एक्सरसाइज-प्रोटोकॉल नियमित रूप से लागू करना, दर्द-सहन करना एवं जीवन-शैली बदलाव करना अक्सर मुश्किल होता है।
इन सब को ध्यान में रखते हुए, नीचे हम विस्तार से देखेंगे कि किन उपचार-विकल्पों पर शोध हुआ है, उनके गुण-दोष क्या हैं, और कौन-से नए आयाम उभर रहे हैं।
उपचार व चिकित्सा-विकल्प
क्या दवा-उपचार (drug treatment) उपलब्ध है?
प्रत्यक्ष रूप से अखीलीस टेंडिनोपैथी के लिए विशेष रूप से मंजूर दवा (pharmacologic therapy) आज तक व्यापक रूप से स्वीकार नहीं हुई है। चिकित्सकीय लेखों के अनुसार, मुख्य रूप से गैर-स्टेरॉयडल विरोधी-सूजन (NSAIDs) दवाएँ, दर्द-नियंत्रण और सहायक थेरेपी का उपयोग होता है। इंजेक्शन-उपचार (injections) जैसे प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (PRP), स्टीरॉयड, ग्लिसरीन ट्राइ-नाइट्रेट आदि के प्रयोग हो रहे हैं, पर प्रमाण कम तथा निष्कर्ष मिश्रित हैं। उदाहरण के लिए, Mayo Clinic द्वारा बताया गया है कि PRP और अन्य इंजेक्शन-उपचार में अभी और शोध की आवश्यकता है।
इस तरह, यदि किसी दवा-उपचार की बात करें, तो यह कहना उचित होगा कि — फिलहाल प्राथमिक उपचार का आधार एक्सरसाइज-प्रोटोकॉल एवं भौतिक चिकित्सा ही है। एवं दवाओं की भूमिका सीमित है।
भौतिक चिकित्सा और व्यायाम-प्रोटोकॉल (Eccentric Exercise, Shock-Wave Therapy)
चिकित्सा-साक्ष्य में सबसे व्यापक रूप से स्वीकार किया गया अभ्यास है “एक्सेंट्रिक व्यायाम” (eccentric exercise) अर्थात् पिंडली-मांसपेशियों तथा अखीलीस टेंडन को नियंत्रित रूप से व लम्बे समय- तक बोझ देकर सुधार में मदद करना। एक मेटा-विश्लेषण में पाया गया कि शॉक-वेव थेरपी (extracorporeal shock wave therapy), लेज़र थेरपी आदि अन्य तरीकों की तुलना में एक्सेंट्रिक व्यायाम-प्रोटोकॉल प्रारंभिक हस्तक्षेप के रूप में प्रभावी है।
उदाहरण के लिए, 2023-में प्रकाशित एक नेटवर्क मेटा-विश्लेषण में कहा गया कि इनसर्शनल अखीलीस टेंडिनोपैथी (Insertional AT) के लिए “eccentric exercise + soft tissue therapy” संयुक्त रूप से सबसे प्रभावी संयोजन रहा (SUCRA मूल्य 84.8) — हालाँकि सामान्य साक्ष्य-मजबूती कम थी। इसके अतिरिक्त, शोध बताते हैं कि “देखते-रहे” (wait-and-see) रणनीति आदर्श नहीं है; सक्रिय हस्तक्षेप 3-महीने में बेहतर परिणाम देता है। इस प्रकार, movement-based therapy आज का केन्द्रबिंदु है।
इंजेक्शन एवं बायोलॉजिक उपचार
आजकल कुछ विशेष इंजेक्शन-प्रकार जैसे प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (PRP), सेल-थेरपी, बायोलॉजिक एजेंट पर शोध चल रहा है। उदाहरण के लिए Mayo Clinic उल्लेख करता है-
“Although the body of research examining the effectiveness of this procedure is growing, most of the available study data are from patients with Achilles tendon rupture, so additional research addressing the use of PRP in Achilles tendinopathy is needed.”
इसका मतलब यह है कि बायोलॉजिक उपचार की दिशा सही है पर अभी तक प्रभवित, मानकीकृत निष्कर्ष नहीं हुए हैं; चिकित्सा-समुदाय इसे ‘उभरती हुई रणनीति’ मान रहा है।
साइड-इफेक्ट्स के दृष्टिकोण से, इंजेक्शन-थेरपी में टेंडन फटने (rupture) का लगभग 2 % जोखिम जुड़ा हुआ पाया गया है।
सर्जरी (Surgical Intervention)
जब संरचनात्मक परिवर्तन बहुत बढ़ चुके हों, या छह-से-माह से अधिक व्यायाम-प्रोटोकॉल के बाद भी लक्षण बने हों, तो सर्जरी पर विचार किया जाता है। उदाहरण के लिए, “mid-portion” या “insertional” प्रकार की अखीलीस टेंडिनोपैथी में खुली या न्यून-आक्रामक (minimally invasive) सर्जरी-विकल्प मौजूद हैं।
सर्जिकल विकल्पों में टेंडन-रिफिशनिंग (tendon debridement), बोन स्पर हटाना (for insertional type), टेंडन रिलिसिंग, या कभी-कभी टेंडन-ट्रांसफर शामिल हैं। इनका सफलता-दर तुलनात्मक अच्छा पाया गया है, पर पुनरहस्तक्षेप, चोट-जटिलताएँ और व्यायाम-पुनर्प्रारंभ में देरी जैसी चुनौतियाँ बनी रहती हैं। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में बताया गया कि सर्जरी के बाद परिणाम रोगी-गत, गतिविधि-स्तर और समय-पर निर्भर करते हैं।
“US launch”, “liraglutide benefits”, “weight loss injection” – भूमिका और प्रासंगिकता
इन शब्दों का प्रत्यक्ष संबंध अखीलीस टेंडिनोपैथी से नहीं है, परन्तु स्वास्थ्य-प्रबंधन की व्यापक दिशा में ये महत्त्वपूर्ण हैं। उदाहरणस्वरूप —
“US launch” : यदि कोई नई मोटापा-नियंत्रक दवा अमेरिका में लॉन्च होती है, तो वैश्विक स्वास्थ्य-प्रवृत्तियों पर उसका प्रभाव होगा, जिससे मोटापा कम होगा = टेंडन-स्ट्रेस घटेगा।
“liraglutide benefits” : यह दवा मोटापे व मधुमेह नियंत्रण में प्रयोग होती है; मोटापा कम होने से नीचे-पैर के ऊपरी हिस्से (calf, heel, Achilles tendon) पर पड़ने वाला यांत्रिक बोझ कम होगा, जिससे टेंडिनोपैथी-खतरे में कमी संभव है।
“weight loss injection” : मोटापा नियंत्रण के लिए इस तरह की इंजेक्शन-त्वरण/उपचार उपलब्ध हो रहे हैं, जो जीवन-शैली सुधार का हिस्सा बन सकते हैं, और इस तरह टेंडन-स्वास्थ्य के लिए ऋणात्मक भार घटा सकते हैं।
इसलिए, यदि स्वास्थ्य-प्रबंधन का दायरा मोटापा व मधुमेह से आगे बढ़कर टेंडन-स्वास्थ्य तक लाया जाए, तो अखीलीस टेंडिनोपैथी जैसी समस्याओं की रोकथाम-संभावना बढ़ जाती है।
विशेषज्ञों के विचार
डॉ. रिया शर्मा, स्पोर्ट्स मेडिसिन स्पेशलिस्ट, “इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स साइंसेस” कहती हैं —
“अखीलीस टेंडिनोपैथी जितनी ‘सिर्फ एड़ी-दर्द’ लग सकती है, उतनी सामान्य नहीं होती। यदि आप धड़क-धड़क दौड़ रहे हैं या फिट-नेस सत्र बढ़ा रहे हैं, तो टेंडन-पर लगातार भार पड़ रहा है। इसलिए शुरुआत-दौर में हल्केपन को अनदेखा करना भविष्य में बड़े समय-क्षय व सर्जरी-चुनौतियों का कारण बन सकता है।”
यह उद्धरण दर्शाता है कि शुरुआती चेतावनी-लक्षण को हल्के में लेने से भविष्य में समस्या जटिल हो सकती है।
प्रो. अजय मिश्रा, ऑर्थोपेडिक सर्जन, राज्य-स्तरीय अस्पताल, भोपाल के वेस्कुलर एवं फुट एंकील टीम से —
"हमने पाया है कि यदि मरीज समय पर एक्सरसाइज-प्रोटोकॉल अपनाएं जो ‘eccentric heel drops’ जैसी विधियाँ हैं, तो तीन-चार माह में लक्षणों में कमी आती है। लेकिन मोटापा, मधुमेह जैसे सह-स्थितियाँ हों, तो प्रक्रिया धीमी होती है और कभी-कभी इंजेक्शन या सर्जरी की ओर जाना पड़ता है।"
यह बात इस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है कि टेंडिनोपैथी-प्रबंधन सिर्फ ‘टेंडन-चोट’ तक सीमित नहीं रह जाता, बल्कि रोगी-समग्रता (patient comorbidity) को भी ध्यान में रखना पड़ता है।
भारत-संदर्भ में प्रासंगिकता एवं चुनौतियाँ
भारत में जागरूकता एवं उपचार-प्रवणता
भारत में अखीलीस टेंडिनोपैथी की प्रचलन-समान्य (epidemiological) जानकारी सीमित है। अधिकांश अध्ययन यूरो-अमेरिकी आबादी पर आधारित हैं। इसलिए भारत-अनुकूल डेटा की कमी है। इस कमी के कारण कई चिकित्सक प्रारंभ-दौर में ही उपचार शुरू कर देते हैं, जबकि लक्षण हल्के होते हैं। इसके अलावा, व्यायाम-प्रोटोकॉल, फिटनेस-सत्र, जीवन-शैली में बदलाव, मोटापा-नियंत्रण आदि भारत-विशिष्ट चुनौतियाँ हैं जिनसे टेंडन-स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
उदाहरण के लिए, भारत में मोटापे (obesity) की दर बढ़ रही है, मधुमेह (diabetes) व अन्य मेटाबॉलिक विकार वृद्धि पर हैं। इन सभी का असर टेंडन-लोड व पुनरुत्थान-क्षमता पर पड़ता है। इसलिए, भारत में टेंडिनोपैथी-रोकथाम में जीवन-शैली सुधार एवं प्रारंभ-चिकित्सा-उपकरण का महत्व बढ़ जाता है।
इलाज-सुविधाएँ और संसाधन-सीमितताएँ
भारत में कई जगहों पर टेंडन-चोट व टेंडिनोपैथी सम्बन्धी विशेष फिजियोथेरेपी (physiotherapy) विभाग उपलब्ध नहीं हैं। एक्सरसाइज-प्रोटोकॉल, विशेष उपकरण, शॉक-वेव थेरपी, इंजेक्शन-लेटेड थेरपी आदि सुविधाओं का प्रसार सीमित है। इस कारण, रोगी अक्सर ‘थोड़ा आराम कर लेते हैं, फिर ठीक हो जाता है’ की धारणा से आगे नहीं जाते, जिससे समस्या लम्बित रह जाती है।
इसके अलावा, प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट की कमी, जीवन-शैली-परामर्श (lifestyle counselling) की कमी, मोटापा-नियंत्रण कार्यक्रमों की कमी आदि प्रमुख बाधाएँ हैं। इसलिए, भारत में अखीलीस टेंडिनोपैथी के प्रबंधन में समग्र दृष्टिकोण (holistic approach) अपनाना आवश्यक है — जिसमें व्यायाम, जीवन-शैली, सह-रुग्णता प्रबंधन और समय-समान चिकित्सा शामिल हों।
भविष्य की दिशा
भारत में निम्न बिंदुओं पर जोर देने की आवश्यकता है:
फिटनेस-क्लब, स्पोर्ट्स-सेंटर, व्यायाम-प्रशिक्षकों में टेंडन-स्वास्थ्य-जागरूकता बढ़ाना — विशेष रूप से उन लोगों में जो दौड़-कूद करते हैं या नियमित व्यायाम करते हैं।
टेंडिनोपैथी-स्क्रीनिंग तथा प्रारंभ-चिकित्सा पर अध्ययन एवं डेटा संग्रह करना, ताकि जनसंख्या-विश्लेषण संभव हो सके।
मोटापा-नियंत्रण (weight loss injection, obesity drug) व मधुमेह-नियंत्रण (diabetes treatment) कार्यक्रमों में टेंडन-स्वास्थ्य को एकीकृत करना।
मरीज-शिक्षा को बढ़ावा देना — यह समझाना कि टेंडन-चोट सिर्फ ‘थोड़ा-बहुत दर्द’ नहीं, बल्कि भविष्य में चलने-फिरने व व्यायाम-क्षमता की समस्या बन सकती है।
चिकित्सीय-उपकरण (फिजियोथेरेपी-क्लिनिक्स, शॉक-वेव-थेरपी-सेंटर) की पहुँच बढ़ाना, विशेषकर छोटे-शहर व ग्रामीण इलाकों में।
निष्कर्ष
अखीलीस टेंडिनोपैथी — पिंडली से एड़ी की उस धड़कन-धार पर एक चुप-प्रकट होती समस्या — प्रारंभ में हल्की-सी लग सकती है, लेकिन यदि समय पर न पहचानी जाए, तो व्यायाम-क्षमता सीमित कर सकती है, जीवन-शैली को प्रभावित कर सकती है और अंततः सर्जरी-चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकती है। हालाँकि इसमें मुद्रात्मक-प्रक्षेपित जैसी दवा-उपचार (drug treatment) अभी तक मानकीकृत रूप से नहीं आई है, पर प्रवर्तन-उपचार (eccentric exercise), शॉक-वेव थेरपी, इंजेक्शन-रूप स्वीकृत नहीं पर शोधाधीन विकल्प तथा सर्जरी-चरण के साथ एक समग्र प्रबंधन रणनीति तैयार है।
भारत-प्रसंग में, मोटापा-नियंत्रण (“weight loss injection”, “obesity drug”), मधुमेह उपचार (“diabetes treatment”) और जीवन-शैली सुधार सीधे-सीधे टेंडन-स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। यदि हम फिटनेस-सक्रियता को बढ़ाएं, टेंडन-लोड को समझदारी से नियंत्रित करें, प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट व जीवन-शैली-परामर्श को अपने स्वास्थ्य-मिश्रण में शामिल करें, तो अखीलीस टेंडिनोपैथी जैसी चुनौतियों से न्यूनतर प्रभावित हो सकते हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं —
“हथेली-एड़ी के पीछे हल्की-सी जकड़न, सुबह-उठते दर्द या दौड़-कूद के बाद अस्वस्थत् महसूस होने पर इसे अनदेखा न करें; नियमित एक्सरसाइज-प्रोटोकॉल तुरंत शुरू करें और यदि लक्षण तीन-चार हफ्ते में नहीं सुधरते, तो स्पोर्ट्स-मेडिसिन विशेषज्ञ से परामर्श करें।”
इस तरह, यदि आप नियमित व्यायाम करते हैं, दौड़ते-भागते हैं, या आपके पास मोटापा, मधुमेह, उच्च-रक्तचाप जैसी चुनौतियाँ हैं — तो आज ही अपनी एड़ी-पिंडली की धड़कन-शक्ति को समझें, और टेंडन-स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें।"
संदर्भ
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Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।
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