अब डेंगू सिर्फ बरसाती बीमारी नहीं — जलवायु परिवर्तन का बढ़ता स्वास्थ्य संकट

कभी केवल बरसाती मौसम से जुड़ी बीमारी माना जाने वाला डेंगू बुखार अब एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। बढ़ते तापमान, शहरीकरण, और जलवायु परिवर्तन ने मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श परिस्थितियाँ तैयार कर दी हैं। भारत, थाईलैंड, ब्राज़ील और फिलीपींस जैसे देशों में डेंगू के मामलों में 300% तक वृद्धि दर्ज की गई है। Aedes aegypti मच्छर से फैलने वाला यह वायरस न केवल तेज़ बुखार और शरीर दर्द देता है, बल्कि गंभीर स्थिति में प्लेटलेट्स गिरने और आंतरिक रक्तस्राव का कारण भी बन सकता है। वर्तमान में विश्वभर में Dengvaxia और Qdenga (TAK-003) जैसी नई वैक्सीन पर शोध जारी है, जबकि भारत का ICMR और Serum Institute स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने में जुटा है। विशेषज्ञों का कहना है — रोकथाम ही सबसे बड़ा उपचार है। जानिए कैसे बदलती जलवायु डेंगू को नई चुनौती बना रही है।

DISEASES

ASHISH PRADHAN

10/18/20251 min read

भारत में डेंगू बुखार 2025 – बदलती जलवायु और बढ़ते तापमान के कारण फैलता मच्छर जनित रोग
भारत में डेंगू बुखार 2025 – बदलती जलवायु और बढ़ते तापमान के कारण फैलता मच्छर जनित रोग

डेंगू बुखार: एक मौसमी संकट नहीं, बल्कि बदलती जलवायु का बढ़ता हुआ स्वास्थ्य खतरा
भूमिका: डेंगू—एक छोटा मच्छर, पर बड़ा वैश्विक खतरा

हर साल जब मानसून अपने चरम पर होता है, तो भारत समेत एशिया और लैटिन अमेरिका के कई देश एक अनदेखे दुश्मन से जूझते हैं—डेंगू बुखार (Dengue Fever)। यह बीमारी, जो एक साधारण वायरल संक्रमण से कहीं अधिक जटिल और घातक हो चुकी है, आज सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व की आधी से अधिक जनसंख्या अब ऐसे क्षेत्रों में रह रही है जहाँ डेंगू का खतरा लगातार बना हुआ है।

कौन है डेंगू की सबसे बड़ी चपेट में?

डेंगू का असर सबसे ज़्यादा उन देशों में देखा जा रहा है जहाँ मौसम गर्म और नमी भरा रहता है — जैसे भारत, थाईलैंड, फिलीपींस, इंडोनेशिया, ब्राज़ील और अफ्रीका के कई हिस्से।


डेंगू असल में है क्या?

डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो Aedes aegypti और Aedes albopictus मच्छरों द्वारा फैलता है। यह मच्छर दिन के समय ज़्यादा सक्रिय रहते हैं और साफ पानी में पनपते हैं।


डेंगू कब करता है सबसे ज़्यादा हमला?

यह प्रायः बरसात के मौसम और उसके बाद के महीनों में तेजी से फैलता है।


कहाँ सबसे तेज़ फैलता है डेंगू का संक्रमण?

शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यह बीमारी तेजी से फैलती है क्योंकि वहाँ साफ पानी जमा रहने की संभावना अधिक होती है।


क्यों हर साल बढ़ रहा है डेंगू का खतरा?

जलभराव, अपर्याप्त सफाई व्यवस्था, और बढ़ते तापमान डेंगू के लिए उपयुक्त माहौल बनाते हैं— यही वजह है कि डेंगू हर साल और ज़्यादा खतरनाक होता जा रहा है।


कैसे फैलता है डेंगू वायरस?

संक्रमित मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उसके रक्त में प्रवेश कर जाता है और 4-10 दिनों के भीतर बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द और अन्य लक्षण दिखने लगते हैं।

डेंगू की पृष्ठभूमि: एक शताब्दी पुरानी चुनौती का आधुनिक रूप

डेंगू की पहचान सबसे पहले 1940 के दशक में हुई थी, लेकिन पिछले तीन दशकों में यह संक्रमण महामारी के रूप में उभर आया है। 1970 के दशक तक केवल नौ देशों में डेंगू के बड़े प्रकोप हुए थे, जबकि अब 100 से अधिक देशों में इसके मामले दर्ज किए जा रहे हैं। भारत में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, हर साल करीब 2-3 लाख लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं, हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि वास्तविक संख्या इससे कई गुना अधिक हो सकती है क्योंकि कई मामले रिपोर्ट ही नहीं किए जाते।

वायरस के चार मुख्य प्रकार—DENV-1, DENV-2, DENV-3 और DENV-4—मानव शरीर को अलग-अलग तरह से प्रभावित करते हैं। एक प्रकार का संक्रमण झेलने के बाद व्यक्ति को आजीवन उस प्रकार से सुरक्षा मिल जाती है, लेकिन बाकी प्रकारों से नहीं। यही कारण है कि कई बार दूसरी बार डेंगू होने पर स्थिति गंभीर हो जाती है, जिसे Severe Dengue या Dengue Hemorrhagic Fever कहा जाता है।

भारत में डेंगू का बदलता चेहरा: शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन की भूमिका

भारत में पिछले एक दशक में शहरीकरण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की कमी और जलवायु परिवर्तन ने डेंगू के फैलाव को अभूतपूर्व गति दी है। पहले जहाँ यह बीमारी मुख्यतः दक्षिण भारत या महानगरों तक सीमित थी, अब यह छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में भी फैल रही है।

जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, तापमान में मामूली बढ़ोतरी से भी मच्छरों के प्रजनन चक्र में तेजी आती है। Aedes aegypti मच्छर 25°C से 30°C तापमान पर सबसे सक्रिय रहता है—जो अब कई भारतीय शहरों में लगभग पूरे साल बना रहता है।

इसके साथ ही, घरों में रखे गमले, कूलर, टायर, और पानी की टंकियाँ मच्छरों के प्रजनन स्थल बनते जा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, लखनऊ और भोपाल जैसे शहरों में हर साल बरसात के बाद मामलों में 300% तक की वृद्धि देखी जाती है।

डेंगू संक्रमण का वैज्ञानिक स्वरूप: शरीर पर क्या असर डालता है यह वायरस?

डेंगू वायरस जब शरीर में प्रवेश करता है, तो यह रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells) को प्रभावित करता है। यह कोशिकाएँ जब संक्रमित होती हैं, तो शरीर में तीव्र प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) होती है जिससे तेज़ बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, त्वचा पर चकत्ते (rashes) और थकान जैसे लक्षण दिखते हैं।

कई बार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अत्यधिक सक्रिय हो जाती है जिससे platelets की संख्या कम होने लगती है। यही कारण है कि गंभीर मामलों में internal bleeding या shock syndrome जैसे खतरे उत्पन्न हो जाते हैं।

डेंगू के लक्षण: शुरुआती संकेत जिन्हें नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है

डेंगू के लक्षण आम बुखार जैसे ही दिखते हैं, लेकिन कुछ विशिष्ट संकेत हैं जिन्हें समझना बेहद ज़रूरी है:

  1. उच्च तापमान वाला तेज बुखार (104°F या उससे अधिक)

  2. सिरदर्द और आंखों के पीछे दर्द

  3. मांसपेशियों और जोड़ों में तीव्र दर्द (जिसे “breakbone fever” कहा जाता है)

  4. त्वचा पर लाल दाने (rashes)

  5. उल्टी या मतली

  6. कम प्लेटलेट काउंट

यदि मरीज में नाक या मसूड़ों से खून आना, पेट में दर्द, बेचैनी या ठंडापन जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए क्योंकि यह severe dengue का संकेत हो सकता है।

डेंगू का निदान कैसे किया जाता है?

डेंगू की पुष्टि के लिए कई प्रकार की लैबोरेटरी जांचें की जाती हैं:

  • NS1 Antigen Test: संक्रमण के शुरुआती 4 दिनों में यह टेस्ट सबसे कारगर माना जाता है।

  • IgM और IgG Antibody Test: संक्रमण के बाद के दिनों में यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मापते हैं।

  • Complete Blood Count (CBC): इससे प्लेटलेट्स और WBC की स्थिति का पता चलता है।

भारत में अब कई AI-आधारित डायग्नोस्टिक स्टार्टअप्स भी डेंगू की जांच में डिजिटल माइक्रोस्कोपी और मशीन लर्निंग तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं जिससे रिपोर्टिंग की सटीकता और गति दोनों बढ़ी है।

डेंगू का उपचार: लक्षणों पर आधारित चिकित्सा और नई वैक्सीन की उम्मीदें

वर्तमान में डेंगू का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज उपलब्ध नहीं है। उपचार केवल लक्षणों के प्रबंधन (Symptomatic Treatment) पर आधारित है—जैसे बुखार कम करने के लिए paracetamol, शरीर में पानी की कमी से बचने के लिए oral rehydration, और जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स का ट्रांसफ्यूजन।

हालांकि, विश्व स्तर पर वैज्ञानिक डेंगू की वैक्सीन विकास पर तेजी से काम कर रहे हैं।

1. डेंगवैक्सिया (Dengvaxia):

यह दुनिया की पहली डेंगू वैक्सीन है जिसे Sanofi Pasteur ने विकसित किया। WHO ने इसे केवल उन लोगों के लिए अनुशंसित किया है जिन्हें पहले डेंगू संक्रमण हो चुका है, क्योंकि पहली बार संक्रमण वाले व्यक्तियों में इसके बाद डेंगू का जोखिम बढ़ सकता है।

2. TAK-003 (Qdenga):

यह Takeda Pharmaceuticals द्वारा विकसित वैक्सीन है जिसे 2023 में यूरोप और एशिया के कुछ हिस्सों में मंजूरी मिल चुकी है। इस वैक्सीन से चारों डेंगू वायरस प्रकारों के खिलाफ सुरक्षा मिलने की उम्मीद है।

भारत में ICMR (Indian Council of Medical Research) और Serum Institute of India भी मिलकर एक स्वदेशी वैक्सीन पर काम कर रहे हैं जो आने वाले वर्षों में उपलब्ध हो सकती हैl

जनजागरूकता और रोकथाम के उपाय: “रोकथाम ही उपचार है”
  1. पानी के बर्तनों को ढककर रखें।

  2. हर हफ्ते कूलर और टैंकी का पानी बदलें।

  3. मच्छरदानी और रिपेलेंट का प्रयोग करें।

  4. घर के आसपास सफाई रखें।

  5. सरकारी स्वास्थ्य अभियान जैसे ‘डेंगू मुक्त भारत’ में भागीदारी करें।

डेंगू की रोकथाम केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास है जिसमें स्थानीय प्रशासन, स्कूल, कॉर्पोरेट सेक्टर और नागरिक समाज सभी की भूमिका अहम है।

भविष्य की दिशा: क्या डेंगू पर पूर्ण नियंत्रण संभव है?

डेंगू पर नियंत्रण केवल चिकित्सा दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी जुड़ा हुआ है। आने वाले वर्षों में AI-आधारित disease prediction models, genetically modified mosquitoes, और integrated vector management जैसी रणनीतियाँ इस जंग में नया मोड़ ला सकती हैं।

WHO का लक्ष्य है कि 2030 तक डेंगू से होने वाली मृत्यु दर में 50% की कमी लाई जाए। भारत ने भी 2025 तक “डेंगू मुक्त मिशन” का लक्ष्य रखा है जिसमें नगर निकायों को मच्छर नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीकों से लैस किया जा रहा है।

निष्कर्ष:

डेंगू बुखार सिर्फ एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि यह हमारी जीवनशैली, पर्यावरणीय प्रबंधन और सामाजिक जिम्मेदारी की कसौटी बन चुका है। जब तक हम अपने आस-पास की स्वच्छता को लेकर गंभीर नहीं होंगे, तब तक कोई वैक्सीन या दवा हमें पूरी तरह सुरक्षित नहीं रख सकती।

डेंगू से लड़ाई का अर्थ है—प्रकृति के साथ संतुलन बनाना, जागरूकता बढ़ाना और सामूहिक सहयोग से स्वास्थ्य सुरक्षा की नई परिभाषा गढ़ना।

संदर्भ (References):
  1. World Health Organization (WHO) Dengue Factsheet, Updated 2025.

  2. Ministry of Health and Family Welfare, Government of India – Annual Vector-Borne Disease Report 2024-25.

  3. Indian Council of Medical Research (ICMR) – Dengue Vaccine Development Update 2025.

  4. The Lancet Infectious Diseases Journal – “Global Epidemiology of Dengue Virus” (2024).

  5. Takeda Pharmaceuticals – Qdenga Clinical Trial Data (Phase 3 Results, 2023).

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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