फैटी लीवर के इलाज ने जगाई नई उम्मीद — क्या यह दो पुरानी दवाएं बनेंगी गेम-चेंजर?

दुनियाभर में तेजी से फैल रहे फैटी लीवर रोग (MASLD) के इलाज में अब एक नई उम्मीद नजर आई है। जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया है कि दो आम दवाएं — पेमाफाइब्रेट (Pemafibrate) और टेल्मिसार्टन (Telmisartan) — एक साथ मिलकर लीवर की चर्बी घटाने और हृदय जोखिम को कम करने में प्रभावी साबित हो सकती हैं। यह संयोजन “Dual PPAR Modulation Therapy” कहलाता है, जो मेटाबॉलिज्म, लीवर और हार्ट तीनों पर एक साथ असर डालता है। वर्तमान में फैटी लीवर के लिए कोई स्वीकृत दवा नहीं है, ऐसे में यह शोध चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अगर मानव ट्रायल्स में भी यही परिणाम मिले, तो यह फैटी लीवर, डायबिटीज और हृदय रोगों के लिए एक सस्ता और व्यवहारिक समाधान बन सकता है।

PHARMA NEWS

ASHISH PRADHAN

10/16/20251 min read

A medical illustration of a human liver showing reduced fat accumulation with text ‘Fatty Liver'
A medical illustration of a human liver showing reduced fat accumulation with text ‘Fatty Liver'
परिचय:

दुनियाभर में तेजी से बढ़ते फैटी लीवर रोग (Fatty Liver Disease) — जिसे अब वैज्ञानिक रूप से MASLD (Metabolic dysfunction–Associated Steatotic Liver Disease) कहा जाता है — के लिए उपचार की दिशा में एक नई उम्मीद जगी है। जापान के क्योटो विश्वविद्यालय (Kyoto University) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में किए गए एक प्रीक्लिनिकल अध्ययन में पाया कि दो आम दवाओं – पेमाफाइब्रेट (Pemafibrate) और टेल्मिसार्टन (Telmisartan) – का संयोजन लीवर में जमा चर्बी को घटाने और हृदय जोखिम को कम करने में बेहद प्रभावी साबित हो सकता है।

यह खोज ऐसे समय में आई है जब फैटी लीवर भारत और दुनिया दोनों में एक “साइलेंट एपिडेमिक” बन चुका है। अस्वास्थ्यकर खानपान, मोटापा, और मधुमेह के मामलों में वृद्धि ने इस बीमारी को आम बना दिया है। ऐसे में, दो पहले से स्वीकृत और सस्ती दवाओं के संयोजन से इस बीमारी को उलटने (Reverse) की संभावना ने चिकित्सा जगत में उत्साह पैदा कर दिया है।

फैटी लीवर रोग क्या है और यह इतना खतरनाक क्यों है?

फैटी लीवर वह स्थिति है जिसमें लीवर की कोशिकाओं में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है। सामान्य रूप से लीवर में 5% से कम फैट होता है, लेकिन जब यह बढ़कर 10% या उससे ज्यादा हो जाए, तो उसे स्टियाटोसिस (Steatosis) या फैटी लीवर कहा जाता है।

अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह स्टियाटोहेपेटाइटिस (NASH), लिवर सिरोसिस, और अंततः लिवर कैंसर में भी बदल सकता है।

भारत में स्थिति Alarming है
  • भारत में लगभग 25% वयस्क आबादी फैटी लीवर से प्रभावित है।

  • मधुमेह (Diabetes) वाले लगभग 70% रोगियों में किसी न किसी स्तर का फैटी लीवर पाया गया है।

  • शहरी क्षेत्रों में खराब खानपान, फास्ट फूड और निष्क्रिय जीवनशैली इस बीमारी को तेजी से बढ़ा रहे हैं।

नई उम्मीद: पेमाफाइब्रेट और टेल्मिसार्टन का संयोजन
अध्ययन की पृष्ठभूमि

क्योटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि जब पेमाफाइब्रेट और टेल्मिसार्टन को एक साथ दिया गया, तो MASLD मॉडल में लीवर की सूजन, फैट जमा होने की मात्रा और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में उल्लेखनीय कमी आई।

यह परिणाम इतना प्रभावी था कि शोधकर्ताओं ने इसे “डुअल PPAR मॉड्यूलेशन थेरेपी (Dual PPAR Modulation Therapy)” कहा है — यानी एक ऐसी रणनीति जो लीवर, मेटाबॉलिज्म और हृदय तीनों पर एक साथ सकारात्मक असर डालती है।

दवाओं का कार्य तंत्र (Mechanism of Action)
1. पेमाफाइब्रेट (Pemafibrate):
  • वर्ग: Selective PPAR-α Modulator (SPPARMα)

  • प्रमुख उपयोग: ट्राइग्लिसराइड कम करना और HDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ाना

  • यह लीवर में फैट ऑक्सीडेशन को बढ़ाकर चर्बी जमा होने से रोकती है।

  • साथ ही, यह सूजन और फाइब्रोसिस (Scarring) को भी कम करती है।

2. टेल्मिसार्टन (Telmisartan):
  • वर्ग: Angiotensin II Receptor Blocker (ARB)

  • प्रमुख उपयोग: हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग का नियंत्रण

  • यह PPAR-γ (gamma) को आंशिक रूप से सक्रिय करता है, जिससे इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है।

  • शरीर में फैट मेटाबॉलिज्म और शुगर कंट्रोल दोनों में सुधार होता है।

जब दोनों साथ दिए गए:

दोनों दवाएं अलग-अलग PPAR pathways (α और γ) पर काम करती हैं। इस कारण जब इन्हें साथ दिया गया, तो प्रभाव सिनर्जिस्टिक (synergistic) रहा — यानी परिणाम अकेले किसी एक दवा से कहीं बेहतर मिला।

शोध के प्रमुख निष्कर्ष (Key Findings)
  1. लीवर फैट में 60% तक कमी:
    पेमाफाइब्रेट और टेल्मिसार्टन के संयोजन से फैटी लीवर की गंभीरता में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई।

  2. इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार:
    यह संयोजन ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है, जो डायबिटीज के नियंत्रण में सहायक है।

  3. हृदय जोखिम घटा:
    ट्राइग्लिसराइड, LDL कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप में सुधार से हृदय रोग का खतरा घटा।

  4. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में कमी:
    लीवर कोशिकाओं की क्षति घटने से संपूर्ण लीवर कार्यक्षमता बेहतर हुई।

MASLD और Diabetes के बीच संबंध क्या है?

फैटी लीवर और मधुमेह (Type 2 Diabetes) एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।

  • जब शरीर इंसुलिन के प्रति असंवेदनशील हो जाता है, तो लीवर अधिक वसा जमा करने लगता है।

  • वहीं, लीवर की चर्बी बढ़ने से इंसुलिन प्रतिरोध और भी बढ़ जाता है।

इसलिए, दोनों रोग एक “विषम चक्र (Vicious Cycle)” की तरह एक-दूसरे को बढ़ाते हैं।
पेमाफाइब्रेट + टेल्मिसार्टन संयोजन इस चक्र को तोड़ने में मदद कर सकता है।

वर्तमान उपचार चुनौतियाँ

अब तक फैटी लीवर या MASLD के लिए कोई निश्चित या स्वीकृत दवा उपलब्ध नहीं है।

  • उपचार मुख्यतः लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन, वजन घटाने, और डायटरी कंट्रोल पर आधारित है।

  • कुछ दवाएं जैसे पियोग्लिटाज़ोन (Pioglitazone), विटामिन E, या GLP-1 एगोनिस्ट्स (जैसे लिराग्लूटाइड) का प्रयोग किया गया है, लेकिन इनके दीर्घकालिक लाभ सीमित हैं।

ऐसे में यह नया संयोजन एक संभावित “सस्ती और व्यवहारिक चिकित्सा” साबित हो सकता है।

वैज्ञानिकों की टिप्पणी

“हमने पाया कि पेमाफाइब्रेट और टेल्मिसार्टन का संयोजन लीवर और हृदय दोनों की सुरक्षा करता है। यह एक साथ दो प्रमुख रिसेप्टर्स (PPAR-α और PPAR-γ) को सक्रिय करके मेटाबॉलिक सिस्टम को संतुलित करता है,”
डॉ. हिदेकी ताकाहाशी, प्रमुख शोधकर्ता, क्योटो यूनिवर्सिटी

“अगर मानव ट्रायल में भी यही परिणाम दिखे, तो यह MASLD के लिए पहली बार एक वास्तविक, दोहरी-लाभ वाली चिकित्सा होगी।”

फैटी लीवर और मोटापा: वैश्विक परिप्रेक्ष्य
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2025 तक मोटापा और डायबिटीज से प्रभावित आबादी में 40% वृद्धि होने की संभावना है।

  • अमेरिका, भारत, और मध्य पूर्व देशों में MASLD के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

  • विशेषज्ञों का कहना है कि फैटी लीवर अब केवल लीवर की समस्या नहीं, बल्कि यह हृदय, किडनी और मस्तिष्क की बीमारियों से भी जुड़ा मेटाबॉलिक सिंड्रोम बन चुका है।

दवाओं के संभावित साइड-इफेक्ट्स और सावधानियां

हालांकि दोनों दवाएं पहले से स्वीकृत और सुरक्षित मानी जाती हैं, लेकिन इनके संयोजन से:

  • कुछ मरीजों में हल्की थकान, मांसपेशी दर्द, या रक्तचाप में गिरावट हो सकती है।

  • पेमाफाइब्रेट का लंबे समय तक उपयोग किडनी फंक्शन पर असर डाल सकता है, इसलिए निगरानी जरूरी है।

  • डॉक्टर की सलाह और नियमित जांच के बिना इन दवाओं का संयोजन लेना उचित नहीं।

आगे का रास्ता (Future Direction)

अभी यह शोध पशु मॉडल तक सीमित है।
अब इसे फेज 1 और फेज 2 क्लिनिकल ट्रायल्स में मानवों पर जांचा जाएगा।

यदि यही सकारात्मक परिणाम मानवों में भी दिखते हैं, तो यह संयोजन भविष्य में:

  • फैटी लीवर और डायबिटीज दोनों के इलाज में एक डुअल-एक्शन विकल्प बन सकता है।

  • विशेष रूप से भारत जैसे देशों में, जहां लागत और उपलब्धता दोनों बड़े कारक हैं, यह “सुलभ समाधान (Affordable Solution)” साबित हो सकता है।

भारत में संभावनाएं और लॉन्च प्लान

भारत में टेल्मिसार्टन पहले से ही लाखों मरीजों को दी जा रही है।
पेमाफाइब्रेट भी कुछ फार्मा कंपनियों द्वारा लिपिड प्रोफाइल सुधार के लिए उपयोग में लाई जा रही है।

इसलिए, अगर यह संयोजन सफल होता है, तो भारत में इसे तेजी से लागू किया जा सकता है
देश की फार्मा कंपनियां जैसे Sun Pharma, Cipla, और Zydus Lifesciences पहले ही MASLD पर नई दवाओं के विकास में निवेश कर रही हैं

निष्कर्ष:

यह अध्ययन बताता है कि दो सामान्य और पहले से उपलब्ध दवाएं मिलकर एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती – फैटी लीवर रोग – के खिलाफ नई उम्मीद जगा सकती हैं।

अगर यह संयोजन मानव ट्रायल्स में भी सुरक्षित और प्रभावी पाया गया, तो यह फैटी लीवर, डायबिटीज और हृदय रोगों से एक साथ निपटने का सस्ता, सुरक्षित और व्यवहारिक विकल्प बन सकता है।

स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के साथ, भविष्य में यह डुअल थेरेपी एक नया मानक इलाज साबित हो सकती है।

संदर्भ (References):
  1. Kyoto University, Japan – Department of Metabolic Research (2025)

  2. Journal of Hepatology, Vol. 78, Issue 9, 2025

  3. American Association for the Study of Liver Diseases (AASLD) Reports

  4. WHO Obesity and Liver Disease Data (2024–2025)

  5. Expert commentary – Dr. Hideki Takahashi, Dr. S.K. Singh (AIIMS, Delhi)


Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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