स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की वैश्विक शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में IIPH गांधीनगर के डॉ. महावीर गोलेच्छा बने भारतीय जनस्वास्थ्य अनुसंधान की नई पहचान

IIPH गांधीनगर के वरिष्ठ जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. महावीर गोलेछा को स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के 2025 के "सामान्य एवं आंतरिक चिकित्सा" श्रेणी में दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में स्थान दिया गया है। गैर-संचारी रोगों, पोषण नीति और समुदाय-आधारित स्वास्थ्य अनुसंधान पर उनके कार्य को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है। यह उपलब्धि साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य अनुसंधान और जन नीति नवाचार में भारत के बढ़ते नेतृत्व के लिए एक गौरवशाली क्षण है। जानें कि कैसे डॉ. गोलेछा का शोध निवारक चिकित्सा के भविष्य को आकार दे रहा है और भारतीय जन स्वास्थ्य विज्ञान को वैश्विक मानचित्र पर ला रहा है।

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ASHISH PRADHAN

11/10/20251 min read

From Gandhinagar to Global Stage Dr. Mahaveer Golechha in Stanford’s Top 2 Scientists 2025
From Gandhinagar to Global Stage Dr. Mahaveer Golechha in Stanford’s Top 2 Scientists 2025

परिचय

भारत के लिए यह एक गर्व का क्षण है जब गुजरात के गांधीनगर स्थित Indian Institute of Public Health (IIPH Gandhinagar) के प्रख्यात जनस्वास्थ्य वैज्ञानिक डॉ. महावीर गोलेच्छा को स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई वैश्विक शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में स्थान मिला है। उन्हें विशेष रूप से “जनरल एंड इंटरनल मेडिसिन” (General and Internal Medicine) श्रेणी में भारत में पाँचवें स्थान पर रखा गया है। यह सूची वैज्ञानिकों के वैश्विक योगदान, शोध-प्रभाव (research impact), प्रकाशित शोधपत्रों की संख्या, और अंतरराष्ट्रीय उद्धरणों (citations) के आधार पर तैयार की जाती है।

यह उपलब्धि न केवल एक व्यक्ति की सफलता का प्रतीक है बल्कि यह भारत के जनस्वास्थ्य, महामारी विज्ञान (epidemiology) और चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में हो रहे गुणात्मक परिवर्तन की दिशा में एक मजबूत संकेत भी है।

पृष्ठभूमि: भारत में चिकित्सा अनुसंधान का नया युग

पिछले एक दशक में भारत ने चिकित्सा और स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। चाहे बात हो डायबिटीज (diabetes) और ओबेसिटी (obesity) जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों से निपटने की, या सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति (public health policy) के बेहतर क्रियान्वयन की — भारतीय वैज्ञानिक अब वैश्विक संवाद में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।

भारत आज विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्वास्थ्य-शोध नेटवर्क रखता है, जहां प्रतिवर्ष हजारों शोधपत्र प्रकाशित होते हैं। इन प्रयासों में IIPH Gandhinagar जैसे संस्थान अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, जो भारतीय जनस्वास्थ्य के लिए नीति-आधारित और साक्ष्य-आधारित समाधान तैयार कर रहे हैं।

डॉ. महावीर गोलेच्छा का शोध-कार्य भी इन्हीं मूल्यों पर आधारित है — उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य, पोषण नीति, सामाजिक चिकित्सा, नॉन-कम्युनिकेबल डिज़ीज़ (NCDs) और सामुदायिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों पर व्यापक कार्य किया है।

उनकी टीम ने ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में जनस्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों जैसे मोटापा, रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए व्यवहार-आधारित कार्यक्रमों पर शोध किया है।

स्टैनफोर्ड की सूची में चयन क्यों विशेष है?

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की “World’s Top 2% Scientists” सूची को विश्व में सबसे विश्वसनीय वैज्ञानिक मूल्यांकन में से एक माना जाता है। यह सूची हर वर्ष Elsevier के सहयोग से प्रकाशित होती है और इसमें 180 से अधिक देशों के लाखों वैज्ञानिकों का विश्लेषण किया जाता है।

डॉ. गोलेच्छा को इस सूची में शामिल किए जाने का अर्थ यह है कि उनके शोध का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंजता है। उनके द्वारा प्रकाशित शोधपत्रों को वैश्विक जर्नलों में बार-बार उद्धृत किया गया है, जिससे यह साबित होता है कि उनके निष्कर्ष न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए प्रासंगिक हैं।

भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान की दिशा

पिछले वर्षों में भारत में जनस्वास्थ्य अनुसंधान (public health research) पर निवेश और ध्यान दोनों बढ़े हैं।

नेशनल हेल्थ मिशन, आयुष्मान भारत, और NCD कंट्रोल प्रोग्राम्स के तहत भारत अब केवल रोग-उपचार पर नहीं बल्कि रोग-निवारण (prevention) पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।

इसी दिशा में IIPH Gandhinagar जैसे संस्थानों का योगदान महत्वपूर्ण है, जो जनसंख्या-आधारित अध्ययन, नीति विश्लेषण और साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेपों के जरिए नीति निर्माताओं को दिशा देते हैं।

डॉ. गोलेच्छा का शोध विशेष रूप से इस बात पर केंद्रित रहा है कि लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन, स्वास्थ्य शिक्षा, और सामुदायिक भागीदारी के ज़रिए गैर-संचारी रोगों (NCDs) के जोखिम को कैसे घटाया जा सकता है।

उन्होंने भारत के ग्रामीण और शहरी समुदायों में मधुमेह उपचार (diabetes treatment), मोटापा नियंत्रण (obesity prevention), और स्वास्थ्य व्यवहार परिवर्तन से जुड़ी कई पायलट परियोजनाएँ संचालित की हैं।

वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा: भारतीय शोध का अंतरराष्ट्रीय सम्मान

भारत में अक्सर यह चर्चा होती रही है कि देश का शोध वैश्विक मंच पर पर्याप्त मान्यता नहीं पाता। किंतु डॉ. महावीर गोलेच्छा जैसे वैज्ञानिक यह साबित कर रहे हैं कि भारतीय शोध न केवल गुणवत्ता में श्रेष्ठ हो सकता है बल्कि वह वैश्विक नीतिगत संवाद का हिस्सा भी बन सकता है।

उनकी यह उपलब्धि युवा वैज्ञानिकों और छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो जनस्वास्थ्य, महामारी विज्ञान या चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं।

यह उपलब्धि एक और महत्वपूर्ण संदेश देती है — कि भारत अब केवल अनुसंधान के उपभोक्ता (consumer) की भूमिका में नहीं बल्कि ज्ञान-निर्माता (knowledge creator) के रूप में उभर रहा है।

भविष्य की दिशा: भारत में जनस्वास्थ्य अनुसंधान का संभावित प्रभाव

डॉ. गोलेच्छा का नाम इस सूची में शामिल होने से भारत के जनस्वास्थ्य क्षेत्र के लिए नए अवसर खुलते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग (global collaboration), संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं (joint research projects) और भारत-केंद्रित स्वास्थ्य नीतियों के लिए नई संभावनाएँ बढ़ेंगी।

स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी उपलब्धियाँ न केवल संस्थानों की साख बढ़ाती हैं बल्कि राष्ट्र की वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को भी मजबूती देती हैं।

भविष्य में, जब भारत स्वास्थ्य-तकनीक (health tech), AI in medicine, और डेटा-ड्रिवन पब्लिक हेल्थ के क्षेत्र में निवेश कर रहा है, तब ऐसे वैज्ञानिक नेतृत्व की भूमिका निर्णायक होगी।

डॉ. गोलेच्छा की सोच और उनका काम इस बात की मिसाल हैं कि साक्ष्य-आधारित अनुसंधान (evidence-based research) कैसे समाज की जमीनी समस्याओं का स्थायी समाधान दे सकता है।

निष्कर्ष

डॉ. महावीर गोलेच्छा का नाम स्टैनफोर्ड की वैश्विक शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में शामिल होना भारत के चिकित्सा समुदाय के लिए गर्व की बात है।

यह न केवल एक व्यक्ति की सफलता है, बल्कि यह उस बौद्धिक परंपरा और परिश्रम का परिणाम है जो भारतीय वैज्ञानिकों ने दशकों से कायम रखा है।

यह उपलब्धि भारत में चिकित्सा-शिक्षा, अनुसंधान और नीति निर्माण की दिशा में एक मजबूत कदम है — एक ऐसा कदम जो यह बताता है कि भारत अब वैश्विक स्वास्थ्य-विज्ञान का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।

References / स्रोत
  • Stanford University Report: World’s Top 2% Scientists List 2025 (Elsevier Data, Publication: October 2025)

  • Times of India, Ahmedabad Edition, November 2025

  • Indian Institute of Public Health, Gandhinagar Official Release

  • WHO Global Health Research Data Portal

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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