वैज्ञानिकों की नई खोज: बालों के रोम में छिपी स्टेम कोशिकाएं अब बनेंगी तेज़ त्वचा उपचार की कुंजी

वैज्ञानिकों ने पाया है कि बालों के रोम में मौजूद स्टेम कोशिकाएं त्वचा के घावों को तेजी से भरने में अहम भूमिका निभाती हैं। Nature Cell Biology में प्रकाशित यह शोध बताता है कि ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त ऊतक की मरम्मत के साथ नई रक्त वाहिकाएं बनाती हैं। यह खोज भविष्य में जलने, डायबिटीज़ और उम्र-संबंधी त्वचा रोगों के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

MEDICAL NEWS

ASHISH PRADHAN

11/11/20251 min read

Scientific discovery showing hair-follicle stem cells accelerating natural skin healing and wound
Scientific discovery showing hair-follicle stem cells accelerating natural skin healing and wound

परिचय:

नई वैज्ञानिक खोजों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मानव शरीर में छिपी प्राकृतिक क्षमताएँ अब भी विज्ञान के लिए रहस्यमयी हैं।

हाल ही में किए गए एक अनुसंधान में वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि हमारी त्वचा में मौजूद बालों के रोम (hair follicles) केवल बाल उगाने का ही कार्य नहीं करते, बल्कि उनमें पाई जाने वाली स्टेम कोशिकाएं (stem cells) त्वचा की प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया को उल्लेखनीय रूप से तेज कर सकती हैं। इस अध्ययन को Nature Cell Biology पत्रिका में प्रकाशित किया गया है और इसे अमेरिका तथा जापान के संयुक्त वैज्ञानिक दल ने किया है।


इस खोज से भविष्य में न केवल घावों के तेज़ उपचार बल्कि जलने, संक्रमण और उम्र बढ़ने से जुड़ी त्वचा संबंधी बीमारियों के इलाज में भी नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

स्टेम कोशिकाएं आखिर क्या करती हैं और ये कहां पाई जाती हैं?

मानव शरीर में स्टेम कोशिकाएं वह विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जो विभाजन और पुनर्जनन (regeneration) की अद्भुत क्षमता रखती हैं। बालों के रोम यानी hair follicles में मौजूद ये कोशिकाएं तब सक्रिय होती हैं जब शरीर को किसी चोट या त्वचा क्षति का सामना करना पड़ता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब त्वचा पर घाव बनता है, तब ये कोशिकाएं “repair mode” में चली जाती हैं और क्षतिग्रस्त ऊतक (tissue) की जगह नई कोशिकाएं तैयार करने लगती हैं।

शोध में पाया गया कि बालों के रोम की गहराई में मौजूद स्टेम कोशिकाएं fibroblast और keratinocyte नामक कोशिकाओं को पुनः सक्रिय करती हैं, जिससे त्वचा की सतह तेजी से भरने लगती है। यह प्रक्रिया बिल्कुल वैसी ही होती है जैसी किसी युवा व्यक्ति की त्वचा में देखी जाती है — जहां घाव जल्दी भर जाते हैं और निशान कम बनते हैं।

विज्ञान की नज़र से: उपचार की नई दिशा

अब तक घावों के उपचार के लिए क्रीम, एंटीबायोटिक, लेज़र थैरेपी और ग्रोथ फैक्टर जैसी विधियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन इन सभी में सीमित सफलता मिलती है। नई खोज के अनुसार, यदि इन स्टेम कोशिकाओं को कृत्रिम रूप से सक्रिय किया जाए या इन्हें लैब में बढ़ाकर लगाया जाए, तो घाव भरने की प्रक्रिया कई गुना तेज हो सकती है।

अमेरिका के Harvard Stem Cell Institute के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. ऐलन मार्टिन बताते हैं —

“हमने पाया कि बालों के रोम से प्राप्त स्टेम कोशिकाएं न केवल त्वचा की पुनर्निर्माण क्षमता को बढ़ाती हैं, बल्कि यह नई रक्त वाहिकाओं (blood vessels) के निर्माण को भी प्रोत्साहित करती हैं, जिससे घाव वाले हिस्से में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति तेज़ हो जाती है।”

क्या यह खोज डायबिटीज़ (Diabetes) और मोटापे (Obesity) के मरीजों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है?

डायबिटीज़ से पीड़ित मरीजों के लिए घाव भरना हमेशा एक बड़ी चुनौती रहा है। उच्च शर्करा स्तर के कारण त्वचा की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं और घाव भरने की गति बहुत धीमी हो जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि इन बाल-रोम स्टेम कोशिकाओं को सक्रिय किया जाए, तो डायबिटिक वूंड्स (diabetic wounds) के उपचार में उल्लेखनीय सुधार संभव है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्वभर में लगभग 53 करोड़ लोग डायबिटीज़ से प्रभावित हैं, और इनमें से लगभग 15% मरीजों को chronic ulcers या non-healing wounds की समस्या होती है। इसी तरह, मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में भी त्वचा के नीचे की कोशिकाएं सुस्त हो जाती हैं, जिससे उपचार में देरी होती है। ऐसे में, यह नई तकनीक “diabetes treatment” और “obesity wound management” दोनों ही क्षेत्रों में क्रांतिकारी साबित हो सकती है।

कैसे काम करती हैं ये स्टेम कोशिकाएं? – जैविक प्रक्रिया की समझ

इस शोध में वैज्ञानिकों ने चूहों और मानव त्वचा नमूनों (human skin samples) पर प्रयोग किए। परिणामों से पता चला कि बालों के रोम के आधार पर स्थित bulge region में ऐसी कोशिकाएं मौजूद हैं जो चोट लगने पर सिग्नलिंग प्रोटीन (signaling proteins) छोड़ती हैं।
ये प्रोटीन आसपास की कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं और एक “healing cascade” शुरू करते हैं।
इस प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण होते हैं:

  1. Inflammation: घाव के स्थान पर प्रतिरक्षा कोशिकाओं का जमाव।

  2. Proliferation: स्टेम कोशिकाओं का विभाजन और नई कोशिकाओं का निर्माण।

  3. Remodeling: नई त्वचा की परत का बनना और पुराने ऊतक का पुनर्गठन।

यह जैविक तंत्र न केवल घाव को भरता है बल्कि त्वचा को पहले जैसी चिकनी और लोचदार बनाता है।

विशेषज्ञों की राय: यह खोज भविष्य की चिकित्सा को बदल सकती है

भारत के प्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. मृणाल सेन के अनुसार —

“यह खोज मेडिकल साइंस में एक मील का पत्थर है। यदि आने वाले वर्षों में इन स्टेम कोशिकाओं को कृत्रिम रूप से विकसित कर मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित किया जा सके, तो जलने, डायबिटिक अल्सर और बुजुर्गों की त्वचा से जुड़ी समस्याओं का स्थायी समाधान संभव है।”

अमेरिका में FDA (Food and Drug Administration) ने भी इस दिशा में प्रायोगिक क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दे दी है। अगले दो वर्षों में मानव पर प्रारंभिक परीक्षण शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।

भारत में लॉन्च की संभावना और भविष्य की दिशा

भारत में त्वचा रोग और डायबिटिक घावों का बोझ काफी अधिक है। Indian Journal of Dermatology की रिपोर्ट बताती है कि हर साल करीब 2 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार के त्वचा संक्रमण या घाव संबंधी रोगों से प्रभावित होते हैं। ऐसे में, यदि यह तकनीक भारत में आती है, तो यह “India skin healing innovation” के रूप में बड़ी चिकित्सा उपलब्धि साबित हो सकती है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले 5-7 वर्षों में “hair follicle stem cell therapy” को क्लिनिक स्तर पर लागू किया जा सकेगा। इसके लिए बायोटेक कंपनियाँ पहले से ही अनुसंधान में निवेश कर रही हैं।

निष्कर्ष: भविष्य की त्वचा चिकित्सा का नया अध्याय

इस शोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मानव शरीर के भीतर ही प्राकृतिक उपचार की अनंत संभावनाएँ मौजूद हैं। बालों के रोम में छिपी स्टेम कोशिकाएं भविष्य में “बायोलॉजिकल हीलिंग” (biological healing) की दिशा को पूरी तरह बदल सकती हैं। डायबिटीज़ और मोटापे जैसी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह खोज नई उम्मीद लेकर आई है।


हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस थेरेपी को व्यापक स्तर पर लागू करने से पहले और भी अध्ययन आवश्यक हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसके कोई दीर्घकालिक दुष्प्रभाव न हों।

जैसा कि डॉ. ऐलन मार्टिन कहते हैं —
“कभी-कभी समाधान बहुत गहराई में नहीं, बल्कि हमारी अपनी त्वचा में ही छिपा होता है।”

संदर्भ:
  • Nature Cell Biology, Volume 2025, Issue 10

  • Harvard Stem Cell Institute Research Report, October 2025

  • WHO Diabetes Global Report, 2024

  • Indian Journal of Dermatology, March 2025

Disclaimer

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) नहीं है। किसी भी चिकित्सा निर्णय के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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